विक्षनरी
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2025-07-10T19:07:46Z
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484992
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text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
{{शब्द|लिंग=स्त्रीभाषा}
# [[बोली]], [[ज़बान]]; जो लोग आपस बोलते है
## बहुवचन : '''भाषाएँ'''.
=== उच्चारण ===
IPA: /bʰɑː.ʂɑː/
==== अनुवाद ====
{{trans-top}}
*{{en|language}}
*{{de|Sprache|{{f}}}} (श्प्राख़े)
*{{fa|زبان}} (ज़बान)
*{{fr|langue|{{f}}}} (लांग)
*{{gu|ભાષા|(भाषा)|ભાષાયૈ|(भाषायै)}}
*{{nl|taal}} (ताल)
{{trans-bottom}}
==== यह भी देखिए ====
* [[w:भाषा|भाषा]] (विकिपीडिया)
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
भाषा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं । मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है । बोली । जबान । वाणी । विशेष— इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं । अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह सीखे नहीं आती । भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं, और उन शाखाकों के भी अनेक वर्ग उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है । जैसे हमारी हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं । पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं । यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है । संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है । भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कुत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है । क्रि॰ प्र॰—जानना ।—बोलना ।—सीखना ।—समझना । <br><br>२. किसी विशेष जनसमुदाय में प्रचलित बातचीत करने का ढंग । बोली । जैसे, ठगों की भाषा, दलालों की भाषा । <br><br>३. वह अव्यक्त नाद जिससे पशु, पक्षी आदि अपने मनोविकार या भाव प्रकट करते हैं । जैसे, बंदरों की भाषा । <br><br>४. आधुनिक हिंदी । <br><br>५. वह बोली जो वर्तमान समय में किसी देश में प्रचलित हो । उ॰— जे प्राकृत कवि परम सयाने । भाषा जिन्ह हरि चरित बखाने ।—मानस, पृ॰ ११ । <br><br>६. एक प्रकार की रागिनी । <br><br>७. ताल का एक भेद । (संगीत) । <br><br>८. वाक्य । <br><br>९. वाणी । सरस्वीत । <br><br>१०. निर्वचन । परिभाषा । व्याख्या । (को॰) । <br><br>११. अर्जीदावा । अभियोगपत्र ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* हिन्दी मेरी मातृ भाषा है।
* प्रत्येक देश की अपनी भाषा होती है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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राजनीति
0
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2025-07-10T19:16:29Z
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484994
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text/x-wiki
{{-hi-}}
{{-noun-}}
=== संज्ञा ===
'''राजनीति'''
# शासन, सत्ता और सार्वजनिक नीतियों से संबंधित गतिविधियाँ।
# किसी संगठन, समाज या देश के नेतृत्व और प्रबंधन से जुड़ी प्रक्रियाएँ।
# कूटनीति या व्यक्तिगत लाभ के लिए किए गए राजनीतिक कार्य।
=== उच्चारण ===
IPA: /ɾɑːd͡ʒ.niː.t̪iː/
स्त्री.
{{-trans-}}
* {{en}} : [[politics]] [[:en:politics]]
* {{fr}} : [[politique]] स्त्री. [[:fr:politique]]
* {{bn}} : [[রাজনীতি]] [[:bn:রাজনীতি]]
* {{gu}} : [[:gu:]]
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
राजनीति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] वह नीति जिसका अवलंबन कर राजा अपने राज्य की रक्षा और शासन दृढ़ करता है । विशोष— इसके प्रधान दो भेद हैं— एक तंत्र और दूसरा आवाय । वह नीति जिसके द्वार अपने राज्य में सुप्रबंध और शांति स्थापित की जाय, तंत्र नीति कहलाती है; और जिसके द्वारा । परराष्टों से संबंध दृढ़ किया जाय, वह आवाय कहलाती है । स्वराज्य में प्रजा का समाचार और उनको गति का पता देने के लिये राजा को चर से काम लेना पड़ता है; और परराष्ट्रों में स्वराष्ट्रों के स्वत्व, वाणिज्य व्यापारादि की रक्षा तथा उनकी गतियों का पता देने के लिये दूत रहते हैं । इन दूतों और चरों से राजा स्वराष्ट्र और पर- राष्ट्र की गति, चेष्टा आदि का पता लगाकर अपनी शत्कि और स्वत्व की समुचित रक्षा करता है । प्राचीन ग्रंथों में आवाय के छह मुख्य भेद किए गए हैं; जिनको पड़्गुण भी कहते हैं । उनके नाम ये हैं— संधि, विग्रह, यान आसन, द्वैधीकरण और संश्रय । ये षड़्नीति के नाम से भी प्रसिद्ध हैं । राजनीति के चार और अंग कहे गए हैं— साम, दान, दंड और भेद ।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
=== उदाहरण वाक्य ===
* राजनीति समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
* वह कॉलेज में राजनीति में सक्रिय है।
* [[w:राजनीति|राजनीति]] (विकिपीडिया)
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राज
0
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20133
उदाहरण, उच्चारण
484993
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
शासन, अधिकार, सत्ता
=== उच्चारण ===
IPA: /ɾɑːd͡ʒ/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
राज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ राज्य] <br><br>१. देश का अधिकार या प्रबंध । प्रजा- पालन की व्यवस्था । हुकूमत । राज्य । शासन । उ॰—(क) सुख सोवें जो राज याके सब । दुख पैहैं सो सकल प्रजा अब ।—सूर (शब्द॰) । (ख) खान बलि अली अकबर अद् भुत राज, रावरो है अचल सुयश भीजियतु है ।—गुमान (शब्द॰) । मुहा॰—राज करना = हुकूमत करना । प्रजापालन की व्यवस्था करना । उ॰—मोहिं चलो वन सग लिएँ । पुत्र तुम्हें हम देखि जिएँ । अवधपुरी महँ गाज परै । कै अब राज भरत्थ करै ।— केशव (शब्द॰) । राज काज = राज्य का प्रबंध । राज्य का काम । उ॰—(क) राज काज कुपथ कुसाज भोग रोग को है बेद बुधि विद्या वाय विवस बलकहीं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) राज काज कछु मन नहिं धरै । चक्र सुदर्शन रक्षा करै ।— सूर (शब्द॰) । राज देना = किसी को किसी देश के शासन का भार देना । किसी को कहीं का शासक बनाना । राज सिंहासन पर बैठाना । राज्य का अधिकार देना । उ॰—दीन्हें मारि असुर हरि ने तब देवन दीन्हों राज । एकन को फगुआ इंद्रासन इक पताल को साज ।—सूर (शब्द॰) । राज पर बैठना = राज सिंहासन पर बैठना । राज्याधिकार पाना । उ॰—जब से वैठे राज, राजा दसरथ भूमि में । सुख सोयो सुरराज, ता दिन ते सुरलोक में ।—केशव (शब्द॰) । राज भूँजना = राज्य का भोग करना । शासन करना । बहुत सुख भोगना । उ॰—राजु कि भूँजव भरत पुर नृप कि जिइहिं बिनु राम ।—मानस, २ । ४९ । राज रजना = (१) राज्य करना । (२) राजाओं का सा सुख भोगना । बहुत सुख से रहना । राजा रजाना = बहुत सुख देना । यौ॰—राजपाट = (१) राजसिंहासन । (२) शासन । उ॰—सिर पर धरि न चलोगे कोऊ अनेक जतन करि माया जारी । राजपाट सिंहासनन बैठे नोल पदम है सो कहे थोरी ।—(शब्द॰) । <br><br>२. उताना भूमिमान जितना एक राजा द्वारा शासित होता ही । एक राजा द्वारा शासित देश । जनपद । राज्य । उ॰—ऋषि राज तज्यों धन धान्य तज्यों सब । नारि तज्यों सुत सोच तज्यों तव ।—केशव (शब्द॰) । <br><br>३. पूरा अधिकार । खूब चलती । जैसे,—आजकल बाजार भर में आपका राज है । <br><br>४. अधिकार काल । समय । जैसे,—पिताजी के राज में सारा सुख भोग लिया । <br><br>५. देश । जनपद । उ॰—एक राज महँ प्रगट जहँ द्वै प्रभु केशवदास । तहाँ बसत है रैनि दिन मूरातवंत विनाश ।— केशव (शब्द॰) ।
राज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ राज् वा राजः] <br><br>१. राजा । <br><br>२. कोई श्रेष्ठ वस्तु । किसी वर्ग की सर्वश्रेष्ठ वस्तु । <br><br>३. वह कारीगर जो ईटों से दीवार आदि चुनता और मकान बनाता है । थवई । राजगीर ।
राज ^३ वि॰ श्रेष्ठ । सर्वोच्च । जैसे, मणिराज, ग्रहराज आदि ।
राज ^४ संज्ञा पुं॰ [फा॰ राज] रहस्य । भेद । गुप्त बात ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* राजा ने पूरे देश पर राज किया।
* उसने मुझसे अपना राज साझा किया।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संचालन
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20133
484987
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== क्रिया ===
'''संचालन'''
# किसी संस्था, यंत्र या समूह को नियंत्रित करने और दिशा देने का कार्य।
# किसी को अपने मन अनूसार चलाना संचालन कहलाता है।
===उच्चारण===
IPA: /sən.t͡ʃɑː.lən/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
संचालन संज्ञा पुं॰ [सं॰ सञ्चालन] <br><br>१. चलाने की क्रिया । परिचालन । <br><br>२. काम जारी रखना या चलाना । प्रतिपादन । <br><br>३. नियंत्रण । <br><br>४. देखरेख ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* विद्यालय का संचालन कुशल प्राचार्य द्वारा किया जाता है।
* इस मशीन का संचालन बहुत सरल है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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परीक्षा
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20133
उदाहरण,उच्चारण
485002
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
'''परीक्षा'''
# ज्ञान, योग्यता, या क्षमता को परखने के लिए आयोजित किया जाने वाला मूल्यांकन।
# किसी वस्तु, व्यक्ति या प्रक्रिया का परीक्षण।
=== क्रिया ===
हमें क्या पता है, कितना कुछ सीखा इसे ज्ञात करने के लिए परीक्षा होती है।
=== उच्चारण ===
IPA: /pə.ɾiː.kʂɑː/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
परीक्षा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. किसी के गुण दोष आदि जानने के लिये उसे अच्छी तरह से देखने भालने का कार्य । निरीक्षा । समीक्षा । समालोचना । <br><br>२. वह कार्य जिससे किसी की योग्यता, सामर्थ्य आदि जाने जायँ । इम्तहान । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।—लेना । <br><br>३. वह कार्य जो किसी वस्तु के संबंध में कोई विशेष निश्चित करने के लिये किया जाय । आजमाइश । अनुभावार्थ प्रयोग । <br><br>४. मुआयना । निरीक्षण । जाँच पड़ताल । <br><br>५. किसी वस्तु के जो लक्षण माने या जो गुण कहे गए हों उनके ठीक होने न होने का प्रमाण द्वारा निश्चय करने का कार्य । <br><br>६. वह विधान जिससे प्राचीन न्यायालय किसी विशेष अभियुक्त के अपराधी या निरपराध अथवा विशेष साक्षी के सच्चे या झूठे होने का निश्चय करते थे । विशेष—अभियुक्त की परीक्षा को दिव्य और साक्षी की परीक्षा को लौकिक परीक्षा कहते थे । दिव्य परीक्षाएँ कुल नौ प्रकार की होती थीं । दे॰ 'दिव्य' । इनमें से अभियुक्त को उसकी अवस्था, ऋतु आदि के अनुसार कोई एक देनी होती थी । लौकिक परीक्षा में गवाह से कई प्रकार के प्रश्न किए जाते थे ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* मेरी गणित की परीक्षा कल है।
* किसी भी योजना को लागू करने से पहले उसकी परीक्षा की जाती है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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योजना
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उदाहरण , उच्चारण
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wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''योजना''' - किसी कार्य को करने के लिए पूर्व निर्धारित क्रम और तरीके से बनाई गई रणनीतिया
=== उच्चारण ===
IPA: /joː.d͡ʒə.nɑː/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
योजना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. किसी काम में लगाने की क्रिया या भाव । नियुक्त करने की क्रिया । नियुक्ति । <br><br>२. प्रयोग । व्यव- हार । इस्तमाल । <br><br>३. जोड़ । मिलान । मेल । मिलाप । <br><br>४. बनावट । रचना । <br><br>५. घटना । <br><br>६. स्थिति । स्थिरता । <br><br>७. व्यवस्था । आयोजन । जैसे,—उन्होने इसकी सब योजना कर दी है । <br><br>८. किसी बड़े काम को करने का विचार या आयोजन । भावा कार्यों के संबंध में व्यवस्थित विचार । स्कीम । जैसे,— म्युनिसिपैलिटी की नगरसूधार की योजना सरकार ने स्वीकृत क/?/ला ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए नई योजना बनाई।
* परीक्षा की तैयारी के लिए अच्छी योजना बनाना आवश्यक है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''योजना''' - किसी कार्य को करने के लिए पूर्व निर्धारित क्रम और तरीके से बनाई गई रणनीतिया
=== उच्चारण ===
IPA: /joː.d͡ʒə.nɑː/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
योजना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. किसी काम में लगाने की क्रिया या भाव । नियुक्त करने की क्रिया । नियुक्ति । <br><br>२. प्रयोग । व्यव- हार । इस्तमाल । <br><br>३. जोड़ । मिलान । मेल । मिलाप । <br><br>४. बनावट । रचना । <br><br>५. घटना । <br><br>६. स्थिति । स्थिरता । <br><br>७. व्यवस्था । आयोजन । जैसे,—उन्होने इसकी सब योजना कर दी है । <br><br>८. किसी बड़े काम को करने का विचार या आयोजन । भावा कार्यों के संबंध में व्यवस्थित विचार । स्कीम । जैसे,— म्युनिसिपैलिटी की नगरसूधार की योजना सरकार ने स्वीकृत क/?/ला ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए नई योजना बनाई।
* परीक्षा की तैयारी के लिए अच्छी योजना बनाना आवश्यक है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संयोग
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उच्चारण
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wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== अर्थ ===
जब एक जैसे कुछ घटना होती है या दो या उससे अधिक घटना या अन्य वस्तु या कहानी का योग होता है, उसे संयोग कहते हैं। यह बहुवचन के बारे में बताता है, लेकिन यह एक वचन में आता है। जब तक कि इस तरह की कोई अन्य संयोग न हो जाये।
संयोग में दो घटना या लोगों या वस्तु या अन्य कुछ के जुड़ने या योग होने का पता पहले नहीं होता है। उदाहरण के लिए आप से कोई पुस्तक गुम हो गई है। कुछ समय बाद आपको वह पुस्तक किसी दूर स्थान पर कोई आपको वह पुस्तक दे देता है। यह दो अलग अलग घटना का आपस में योग होना कहलाता है। इस कारण इसे संयोग कहते हैं।
=== संधि ===
# संयोग = [[सं]] + [[योग]]
=== उच्चारण ===
IPA|/sən.joːɡ/
=== उदाहरण ===
# कल दिया हुआ मेरा यह सिक्का '''संयोग''' से वापस मेरे ही पास आ गया।
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
संयोग श्रृंगार संज्ञा पुं॰ [सं॰ संयोग श्रृङ्गार] श्रृंगार रस का एक भेद जिसमें नायक नायिका के मिलन आदि का वर्णन होता है [को॰] ।
संयोग संधि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ संयोगसन्धि] कामंदकीय नीति शास्त्र के अनुसार वह संधि जो किसी उद्देश्य से चढ़ाई करने के उपरांत उसके संबंध में कुछ तै हो जाने पर की जाय । (कामंदक) ।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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485035
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== अर्थ ===
जब एक जैसे कुछ घटना होती है या दो या उससे अधिक घटना या अन्य वस्तु या कहानी का योग होता है, उसे संयोग कहते हैं। यह बहुवचन के बारे में बताता है, लेकिन यह एक वचन में आता है। जब तक कि इस तरह की कोई अन्य संयोग न हो जाये।
संयोग में दो घटना या लोगों या वस्तु या अन्य कुछ के जुड़ने या योग होने का पता पहले नहीं होता है। उदाहरण के लिए आप से कोई पुस्तक गुम हो गई है। कुछ समय बाद आपको वह पुस्तक किसी दूर स्थान पर कोई आपको वह पुस्तक दे देता है। यह दो अलग अलग घटना का आपस में योग होना कहलाता है। इस कारण इसे संयोग कहते हैं।
=== संधि ===
# संयोग = [[सं]] + [[योग]]
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.joːɡ/
=== उदाहरण ===
# कल दिया हुआ मेरा यह सिक्का '''संयोग''' से वापस मेरे ही पास आ गया।
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
संयोग श्रृंगार संज्ञा पुं॰ [सं॰ संयोग श्रृङ्गार] श्रृंगार रस का एक भेद जिसमें नायक नायिका के मिलन आदि का वर्णन होता है [को॰] ।
संयोग संधि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ संयोगसन्धि] कामंदकीय नीति शास्त्र के अनुसार वह संधि जो किसी उद्देश्य से चढ़ाई करने के उपरांत उसके संबंध में कुछ तै हो जाने पर की जाय । (कामंदक) ।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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प्रकाश
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2025-07-11T05:29:45Z
Krishnav25
20133
उदाहरण , उच्चारण
485013
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''प्रकाश'''
# [[उजाला]]
# [[रोशनी]]
{{-trans-}}
* {{de|Licht|{{n}}}}
* {{fr|lumière}} ("लुम्यैर्")
* {{en|light}}
* {{nl|licht}}
* {{ja|光}} ("हिकारि")
=== उच्चारण ===
IPA: /pɾə.kɑːʃ/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
प्रकाश । दीप्ति (को॰) । <br><br>५. उबटन, अंगराग आदि शरीर पर मलने से गिरनेवाली मैल (को॰) । <br><br>६. रंग आदि लगाने में प्रयुक्त वस्त्र (को॰) ।
प्रकाश ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. वह जिसके भीतर पड़कर चीजें दिखाई पड़ती हैं । वह जिसके द्वारा वस्तुओं का रूप नेत्रों को गोचर होता है । दीप्ति । आभा । आलोक । ज्योति । चमक । तेज । विशेष—वैज्ञानिकों के अनुसार जिस प्रकार ताप (ऊष्मा) शक्ति का एक रूप है उसी प्रकार प्रकाश भी । प्रकाश कोई द्रव्य नहीं है जिसमें गुणत्व हो । प्रकाश पड़ने पर भी किसी वस्तु की उतनी ही तोल रहेगी जितनी अँधेरे में थी । प्रकाश के संबंध में इधर वैज्ञानिकों का यह सिद्धांत ( विद्युच्चुंबकीय सिदधांत) है कि प्रकाश एक प्रकार की तरंगवत् गति है जो किसी ज्योतिष्मान् पदार्थ के द्वारा ईथर या आकाशद्रव्य में उत्पन्न होती है और चारों ओर बढ़ती है । जल में यदि पत्थर फेंका जाय तो जहाँ पत्थर गिरता है वहाँ जल में क्षोभ उत्पन्न होता है, जिससे तरंगें उठकर चारों ओर बढ़ने लगती है । ठीक इसी प्रकार ज्योतिष्मान् पदार्थ द्वारा ईश्वर या आकाशद्रव्य में जो क्षोभ उत्पन्न होता है वह प्रकाश की तरंगों के रूप में चलता है । यह आकाशद्रव्य विभु वा सर्वव्यापक पदार्थ है, जो जिस प्रकार ग्रहों और नक्षत्रों के बीच अंतरिक्ष में सर्वत्र भरा है उसी प्रकार ठोस से ठोस वस्तुओं के परमाणुओं और अणुओं के बीच में भी । अतः प्रकाश का वाहक यथार्थ में यही आकाशद्रव्य समझा जाता है । प्रकाशतरंगों की गति कल्पनातीत अधिक है । वे एक सेकड में १८६२७२ मील या ९३१३६ कोस के हिसाब से चलती हैं । प्रकाश की जो करनें निकलती हैं, यद्यापि वे सब की सब एक ही गति से गमन करती हैं तथापि तरंगों की लंबाई के कारण उनमें भेद होता है । तरंगें भिन्न भिन्न लंबाई की होती हैं । इससे किसी एक प्रकार की तरंगों से बनी हुई किरनें दूसरे प्रकार की तरंगों से बनी हुई किरनों से भिन्न होती हैं । यही भेद रंगों के भेद का कारण है । (दे॰ 'रंग') । जैसे जिस तरंग की लंबाई .॰॰००१६ इंच होती है वह बैंगनी रंग देती है, जिसकी लंबाई .॰॰००२४ इंच होती है वह लाल रंग देती है । इसी प्रकार अनंत भेद हैं, जिनमें से कुछ ही पुराने तत्वविदों ने प्रकाश को कणिकामय वस्तु के रूप में माना था, पर पीछे वह विद्युच्चुंबकीय तरंगों के रूप का माना गया; परंतु प्रकाश संबंधी कुछ घटनाएँ ऐसी हैं जिनका समाधान विद्युच्चुबंकीय तरंग सिदधांत से नहीं हो सकता है । अतः एक दूसरे सिदधांत 'क्वाटम सिदधांत' का सहारा लेना पड़ा है । इस सिदधांत में एक नवीन प्रकार की कणिका का प्रतिपादन हुआ है । इसे 'फोटाँन' नाम दिया गया है । यह कणिका द्रव्य नहीं है । यह पुंजित ऊर्जा है । प्रत्येक फोटाँन में ऊर्जा का परिमाण प्रकाशतंरंग की आवृत्ति का अनुपाती होता है । इस फोटाँन सिदधांत से उन सभी घटनाओं का पूरा पूरा समाधान हो जाता है जिनका विद्युच्चुबंकीय तरंग सिद्घांत से न हो सका था । दूसरे शब्दों में न्यूटन द्वारा प्रतिपादित कणिका सिदधांत का यह नवीन कणिकामय रूप है । <br><br>२. विकास । स्फुटन । विस्तार । अभिब्यक्ति । <br><br>३. प्रकटन । प्रकट होना । गोचर होना । देखने में आना । <br><br>४. प्रसिद्धि । ख्याति । <br><br>५. स्पष्ट होना । खुलना । साफ समझ में आना । <br><br>६. घोड़े की पीठ पर की चमक । <br><br>७. हास । हँसी ठट्ठा । <br><br>८. किसी ग्रंथ या पुस्तक का विभाग । <br><br>९. धूप । घाम । <br><br>१०. कास्य धातु (को॰) ।
प्रकाश ^२ वि॰ <br><br>१. प्रकाशित । जगमगाता हुआ । दीप्त । <br><br>२. विकसित । स्फुटित । <br><br>३. प्रकट । प्रत्यक्ष । गोचर । <br><br>४. अति प्रसिद्ध । ख्यात । सर्वत्र जाना सुना हुआ । <br><br>५. स्पष्ट । समझ में आया हुआ ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश आता है।
* उसके ज्ञान ने मेरे जीवन में प्रकाश फैलाया।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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राजकुमार
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484995
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''राजकुमार'''
# राजा का पुत्र; शाही परिवार का युवा सदस्य।
# किसी राज्य का उत्तराधिकारी पुरुष।
=== उच्चारण ===
IPA: /ɾɑːd͡ʒ.kʊ.maːɾ/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
राजकुमार संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ राजकुमारी] राज का पुत्र ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* राजकुमार को सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।
* परियों की कहानी में राजकुमार ने राजकुमारी को बचाया।{{शब्द|लिंग=पु}}
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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भावना
0
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उदाहरण,उच्चारण
484998
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text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''भावना'''
# [[विचार]], [[सोच]]
# प्रेम, क्रोध, दुःख, हर्ष आदि मानसिक अवस्थाएँ।
=== उच्चारण ===
IPA: /bʱɑː.ʋ.nɑː/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
भावना ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. मन में किसी प्रकार की चिंता करना । ध्यान । विचार । ख्याल । उ॰— जाकी रही भावना जैसी । हरिमूरति देखी तिन्ह तैसी । — तुलसी (शब्द॰) ।
भावना पु ^२ क्रि॰ अ॰ अच्छा लगना । पसंद आना । रुचना । उ॰— (क) मन भावै तिहारै तुम सोई करौ, हमें नेह को नातो निबाहनो है (शब्द॰) ।—(ख) गुन अवगुन जानत सब कोई । जो जेहि भाव नीक तेहि सोई ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) जग भल कहहिं भाव सब काहू । हठ कीन्हें अंतहु उर दाहू ।—तुलसी (शब्द॰) ।
भावना ^३ वि॰ [हिं॰ भावना (=अच्छा लगना)] जो अच्छा लगे । प्रिय । प्यारा ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसकी बातों में गहरी भावना झलक रही थी।
* सच्ची भावना से किया गया कार्य सफल होता है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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राज्य
0
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2025-07-10T19:28:00Z
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484996
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''राज्य'''
{{m}}
# एक [[देश]] का [[क्षेत्र]], जिसके पास अपनी सरकार है
# [[देश]]
=== उच्चारण ===
IPA: /ɾɑːd͡ʒ.jə/
==== अनुवाद ====
{{trans-top|देश का क्षेत्र}}
* {{en|state|province}}
* {{de|Staat|(श्टाट)|Provinz|(प्रोविन्स)}}
* {{nl|staat}}
* {{ur|ریاست|(रियासत)}}
{{trans-bottom}}
{{trans-top|देश}}
* {{en|country|kingdom}}
* {{de|Land|{{n}}|Königreich|{{n}}}}
* {{nl|land||koningrijk}}
{{trans-bottom}}
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
राज्य संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. राजा का काम । शासन । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।—पाना ।—होना । विशेष— शास्त्रों में राजा, आमात्य, दुर्ग, राष्ट्र, कोप, दंड़ या बल और सुहृत् ये सातों राज्य की प्रकृतियाँ मानी गई हैं । <br><br>२. वह देश जिसमें एक राजा का आधिकार और शासन हो । बादशाहत । जैसे,— नैपाल का राज्य । काबुल का राज्य । विशीष— कहीं कहीं एक लाख गाँवों के समूह को भी राज्य कहा है । पर्या॰—मंडल । जनपद । देश । विषय । राष्ट्र ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भारत अनेक राज्यों में विभाजित है।
* ध्यान के समय मन शांत राज्य में होता है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संधि
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20133
उदाहरण,उच्चारण
485001
wikitext
text/x-wiki
{{-hi-}}
=== संज्ञा ===
'''संधि'''
# [[जोड़]], [[संयोजन]]
# दो या अधिक चीजों के मिलने का स्थान।
# युद्ध या विवाद समाप्त करने के लिए किया गया समझौता।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪ʱiː/
=== प्रकाशितकोशों से अर्थ ===
==== शब्दसागर ====
संधि संज्ञा [सं॰] <br><br>१. दो चीजों का एक में मिलाना । मेल । संयोग । <br><br>२. वह स्थान जहाँ दो चीजें एक में मिलती हों । मिलने की जगह । जोड़ । <br><br>३. राजाओं या राज्यों आदि में होनेवाली वह प्रतिज्ञा जिसके अनुसार युद्ध बंद किया जाता है, मित्रता या व्यापार संबंध स्थापित किया जाता है, अथवा इसी प्रकार का और कोई काम होता है । विशेष—पहले केवल दो योद्धा राज्यों में ही संधि हुआ करती थी; पर अब बिना युद्ध के ही मित्रता का बंधन दृढ़ करने, पारस्परिक व्यवसाय वाणिज्य में सहायता देने और सुगमता उत्पन्न करने अथवा किसी दूसरे राज्य में राजनीतिक अधिकारों की प्राप्ति अथवा रक्षा के लिये भी संधि हुआ करती है । आजकल साधारणतः राज प्रतिनिधि एक स्थान पर मिलकर संधि का मसौदा तैयार करते है; और तब वह मसौदा अपने अपने राज्य के प्रधान शासक अथवा राजा आदि के पास स्वीकृति के लिये भेजते है; और जब प्रधान शासक अथवा राजा उसपर स्वीकृति की छाप लगा देता है, तब वह संधि पूरी समझी जाती है और उसके अनुसार कार्य होता है । जिस पत्र पर संधि की शर्तें लिखी जाती हैं, उसे 'संधिपत्र' कहते हैं । मनु भगवान् ने संधि को राजा के छह् गुणों में से एक गुण बतलाया है, (शेष पाँच गुण ये हैं—विग्रह, यान, आसन, द्रैध और आश्रय) । हमारे यहाँ प्राचीन काल में किसी शत्रु राज्य पर आक्रमण करने के लिये भी दो राजा परस्पर मिलकर संधि किया करते थे । हितोपदेश में संधि सोलह प्रकार की कही गई है—कपाल, उपहार, संतान, संगत, उपन्यास, प्रतीकार, संयोग, पुरुषांतर, अदृष्टतर, आदिष्ट, आत्मादिष्ट, उपग्रह, परिक्रय, ततोच्छिन, परभूषण और स्कंधोपनेय । जब संधि करनेवालों में से कोई पक्ष उस संधि की शर्तों को तोड़ता या उनके विरुद्ध काम करता है, तो उसे संधि का भंग होना कहते हैं । <br><br>४. सुलह । मित्रता । मैत्री । <br><br>५. शरीर में कोई वह स्थान जहाँ दो या अधिक हड्डियाँ आपस मे मिलती हों । जोड़ । गाँठ । जैसे,—कुहनी, घुटना, पोर आदि । विशेष—वैद्यक के अनुसार ये संधियाँ दो प्रकार की हैं । चेष्टा- वान् और निश्चल । सुश्रुत के अनुसार सारे शरीर में सब मिलाकर २१० संधियाँ हैं । <br><br>६. व्याकरण में वह विकार जो दो अक्षरों के पास पास आने के कारण उनके मेल से होता है ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भारत और पाकिस्तान के बीच शांति संधि हुई थी।
* 'राम + ईश' का संधि रूप 'रामेश' होता है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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पूजनीय
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उच्चारण , उदाहरण
485009
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''पूजनीय''' - जो पूजा के योग्य हो; आदरणीय।
=== उच्चारण ===
IPA: /puː.d͡ʒə.niː.jə/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
पूजनीय वि॰ [सं॰] <br><br>१. जिसकी पूजा करना कर्तव्य या उचित हो । पूजने योग्य । आराध्य । अर्चनीय । <br><br>२. आदरणीय । संमान योग्य । उ॰—पूजनीय प्रिय परम जहाँ ते । सब मानि- अहिं राम के नाते ।—मानस, २ । ७४ ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* हमारे गुरु पूजनीय हैं।
* देश के स्वतंत्रता सेनानी पूजनीय माने जाते हैं।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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प्रकाशित
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2025-07-11T05:32:59Z
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20133
उदाहरण , उच्चारण
485014
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== क्रियाविशेषण / विशेषण ===
'''प्रकाशित'''
# जो प्रकाशित किया गया हो; प्रकाशित होने की प्रक्रिया पूरी कर चुका हो।
# जो सार्वजनिक रूप से जारी किया गया हो।
=== उच्चारण ===
IPA: /pɾə.kɑː.ʃɪt̪/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
प्रकाशित वि॰ [सं॰] <br><br>१. जिसमें से प्रकाशं निकल रहा हो । चमकता हुआ । उ॰— यह रतन दीप हरि प्रेम की सदा प्रकाशित जग रहै ।—भारतेंदु ग्रं॰, पृ॰ ४६३ । <br><br>२. जिसपर प्रकाश पड़ रहा हो । चमकता हुआ । <br><br>३. जो प्रकाश में आ चुका हो । विज्ञापित । प्रकट । जैसे,—यह पुस्तक हाल हो में प्रकाशित हई है ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसका लेख अख़बार में प्रकाशित हुआ।
* दीपक के जलते ही कमरा प्रकाशित हो गया।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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प्रतीक्षा
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20133
उदाहरण,उच्चारण
485003
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''प्रतीक्षा'''
# किसी व्यक्ति, वस्तु, या घटना के आने या घटित होने की आशा में इंतजार करना।
=== उच्चारण ===
IPA: /pɾə.t̪iː.kʂɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
प्रतीक्षा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. किसी व्यक्ति अथवा काल के आने या किसी घटना के होने के आसरे में रहना । किसी कार्य के होने या किसी के आने की आशा में रहना । आसरा । इंतजार । प्रत्याशा । जैसे,— (क) मैं एक घटे से आपकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ । (ख) वे इस मास की समाप्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं । उ॰— डूब बची लक्ष्मी पानी में, सती आग में पैठ । जिए उर्मिला करे प्रतीक्षा, सहे सभी घर बैठ । —साकेत, पृ॰ ३१८ । <br><br>२. किसी का भरण पोषण करना । प्रतिपालन । <br><br>३. पूजा । <br><br>४. संमान (को॰) । <br><br>५. ध्यान देना । विचार । करना (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* वह अपने दोस्त की प्रतीक्षा कर रहा था।
* परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा सभी छात्रों को थी।
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भक्त
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उच्चारण, उदाहरण
485011
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''भक्त''' - ईश्वर, गुरु या किसी आदर्श के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम रखने वाला व्यक्ति, उपासक।
=== उच्चारण ===
IPA: /bʱəkt̪/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
भक्त वि॰ [सं॰] <br><br>१. वाटा हुआ । भागों में बाँटा हुआ । <br><br>२. बाँटकर दिया हुआ । प्रदत्त । <br><br>३. अलग किया हुआ । <br><br>४. पक्षपाती । <br><br>५. अनुयायी । <br><br>६. सेवा करनेवाला । भजन करनेवाला । भक्ति करनेवाला ।
भक्त संज्ञा पुं॰ <br><br>१. पका हुआ चावल । भात । <br><br>२. धन । <br><br>३. अन्न । <br><br>४. भाग । हिस्सा । <br><br>५. वेतन । <br><br>६. सेवा पूजा करनेवाला पुरुष । उपासक । विशेष—भगवदगीता के अनुसार आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी चार प्रकार के भक्त तथा भागवत के अनुसार नवधा भक्ति के भेद से नौ प्रकार के भक्त माने गए हैं ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* वह भगवान शिव का भक्त है।
* सच्चा भक्त अपने आराध्य के प्रति समर्पित रहता है।
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भक्ति
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उच्चारण , उदाहरण
485010
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''भक्ति''' - किसी देवता, गुरु या उच्च आदर्श के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव। प्रेमपूर्वक सेवा और पूजन की भावना।
=== उच्चारण ===
IPA: /bʱək.t̪i/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
भक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. अनेक भगों में विभक्त करना । बाँटना । <br><br>२. भाग । विभाग । <br><br>३. अंग । अवयव । <br><br>४. खंड । <br><br>५. वह विभाग जो रेखा द्वारा किया गया हो । <br><br>६. विभाग करनेवाली रेखा । <br><br>७. सेवा सुश्रूषा । <br><br>८. पूजा । अर्चन । <br><br>९. श्रद्धा । <br><br>१०. विश्वास । <br><br>११. रचना । <br><br>१२. अनुराग । स्नेह । <br><br>१३. शांडिल्य के भक्तिसूत्र के अनुसार ईश्वर में अत्यंत अनुराग का होना । विशेष—यह गुणभेद से सात्विकी, राजसी और तामसी तीन प्रकार की मानी गई है । भक्तों के अनुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है जिसे नवधा भक्ति कहते हैं । वे नौ प्रकार ये हैं— श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन । <br><br>१४. जैन मतानुसार वह ज्ञान जिसमें निरतिशय आनंद हो और जो सर्वप्रिय, अनन्य, प्रयोजनविशिष्ट तथा वितृष्णा का उदयकारक हो । <br><br>१५. गौण वृत्ति । <br><br>१६. भंगी । <br><br>१७. उपचार । <br><br>१८. एक वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में तगण, यगण और अंत में गुरु होता है ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* मीरा बाई की भक्ति भगवान कृष्ण के प्रति थी।
* भक्ति में सच्चा मन होना आवश्यक है।
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भागना
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484997
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== क्रिया ===
'''भागना'''
# तेज़ी से दौड़कर किसी स्थान से दूर जाना।
# किसी स्थिति, समस्या या खतरनाक स्थिति से बचने के लिए दूर चले जाना।
=== उच्चारण ===
IPA: /bʱɑːɡ.nɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
भागना क्रि॰ अ॰ [सं॰ √भाज्] <br><br>१. किसी स्थान से हटने के लिये दौड़कर निकल जाना । पीछा छुड़ाने के लिये जल्दी जल्दी चले जाना । चटपट दूर हो जाना । पलायन करना । जैसे,— महल्लेवालों की आवाज सुनते ही डाकू भाग गए । संयों॰ क्रि॰—जाना ।—निकलना ।—पड़ना । मुहा॰—सिर पर पैर रखकर भागना = बहुत तेजी से भागना । जल्दी जल्दी चले जाना । <br><br>२. टल जाना । हट जाना । जैसे,— अब भागते क्यों हो, जरा सामने बैठकर बातें करो । संयो॰ क्रि॰—जाना । <br><br>३. कोई काम करने से बचना । पीछा छुड़ना । पिंड छुड़ाना । जैसे,— (क) आप उनके सामने जाने से सदा भागते हैं । (ख) मैं ऐसे कामों से बहुत भागता हूँ । <br><br>४. युद्ध में हार जाना । पीठ दिखाना ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* चोर पुलिस को देखकर भाग गया।
* डर के समय भागना समाधान नहीं होता।
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भाव्य
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20133
484991
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''भाव्य'''
# जो भविष्य में होने वाला हो; संभावित।
# जो कल्पना या विचार के योग्य हो।
=== उच्चारण ===
IPA: /bʰɑːʋ.jə/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
भाव्य ^१ वि॰ [सं॰] <br><br>१. अवश्य होनेवाला । जिसका होना बिलकुल निश्चित हो । भावी । <br><br>२. भावना करने योग्य । सिद्ध या सावित करने योग्य ।
भाव्य ^२ संज्ञा पुं॰ होनी । भावी [को॰] ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भाव्य परिणामों के बारे में पहले से सोचना चाहिए।
* यह कार्य भाव्य सफलता की दिशा में एक कदम है।
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मंत्र
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उदाहरण , उच्चारण
485022
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''मंत्र'''
# धार्मिक या आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए बोला जाने वाला पवित्र वाक्य या ध्वनि।
# कोई रहस्यमय या प्रभावशाली बात जिसे छुपाकर रखा जाता है।
=== उच्चारण ===
IPA: /mən.t̪ɾ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
मंत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ मन्त्र] <br><br>१. गोप्य या रहस्यपूर्ण बात । सलाह । परामर्श । उ॰—मत्र कहैं निज मति मति अनुसारा । दूत पठाइय बालिकुमारा ।—मानस, ९ ।१७ । <br><br>२. देवाधिसाधन गायत्री आदि वैदिक वाक्य जिनके द्वारा यज्ञ आदि क्रिया करने का विधान हो । विशेष—निरुक्त के अनुसार वैदिक मंत्रों के तीन भेद हैं— परीक्षकृत, प्रत्यक्षकृत और आध्यात्मिक । जिन मंत्री द्वारा देवता को परोक्ष मानकर प्रथम पुरुष की क्रिया या प्रयोग करके स्तुति आदि की जाती है, उसे परोक्षकृत मत्र कहते हैं । जिन मत्रों में देवता को प्रत्यक्ष मानकर मव्यम पुरुष के सर्वनाम और क्रिया का प्रयोग करके उसकी स्तुति आदि होती है, उसे प्रत्यक्षकृत कहते हैं । जिन मंत्रों में देवता का आरोप अपने में करके उत्तम पुरुष के सर्वनाम और क्रियाओं द्वारा उसकी स्तुति आदि की जाती है, वे आध्यात्मिक कहलाते हैं । मत्रों के विषय प्रायःस्तुति, आशीर्वाद, शपथ, अभिशाप, परिदेवना, निंदा आदि होते हैं । मीमांसा के अनुसार वेदों का वह वाक्य जिसके द्वारा किसी कर्म के करने की प्रेरणा पाई जाय, मत्रपद वाच्य है । मीमांसक मत्र को ही देवता मानते हैं और उसके अतिरिक्त देवता नहीं मानते । वैदिक मंत्र गद्य और पद्य दोनों रूपों में पाए जाते हैं । गद्य को यजु और पद्य को ऋचा कहते हैं । जो पद्य गाए जाते है, उन्हें साम कहते हैं । इन्हीं तीन प्रकार के मंत्रों द्वारा यज्ञ के सब कर्म संपादित होते हैं । <br><br> ३. वेदों का वह भाग जिसमें मत्रों का संग्रह है । संहिता । <br><br>४. तत्र के अनुसार वे शब्द वा वाक्य जिनका जप भिन्न भिन्न देवताओ की प्रसन्नता वा भिन्न भिन्न कामनाओं की सिद्धि के लिये करने का विधान हे । ऐसा शब्द या वाक्य जिसके उच्चारण में कोई दैवी प्रभाव वा शक्ति मानी जाती हो । विशेष—इन मत्रों में एकाक्षर मंत्र जो अविस्पष्टार्थ हों, वीज- मत्र कहलाते हैं । क्रि॰ प्र॰—पढ़ना । यौ॰—मंत्र यंत्र वा यंत्र मंत्र = जादू टोना । उ॰—डाकिनी साकिनी खेचर भूवर यत्र मत्र भजन प्रबल कल्मसारी ।— तुलसी (शब्द॰) । मंत्र तंत्र वा तंत्र मंत्र = दे॰ 'तंत मत' ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसने ध्यान करते समय मंत्र का जाप किया।
* गुरु ने अपने शिष्य को एक विशेष मंत्र दिया।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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मंत्रालय
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उच्चारण , उदाहरण
485020
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''मंत्रालय'''
# सरकार का वह विभाग जो किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित नीतियाँ बनाता और कार्यान्वित करता है।
# मंत्री का कार्यक्षेत्र या कार्यालय।
=== उच्चारण ===
IPA: /mən.t̪ɾɑː.lə.jə/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
मंत्रालय संज्ञा पुं॰ [सं॰ मन्त्र + आलय] शासन के किसी मंत्री वा उसके विभाग का कार्यालय । जैसे,—उद्योग मंत्रालय का अनुदान स्वीकृत ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* शिक्षा मंत्रालय ने नई नीति लागू की।
* विदेश मंत्रालय दोनों देशों के बीच वार्ता आयोजित कर रहा है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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मंत्री
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20133
उदाहरण , उच्चारण
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wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''मंत्री'''
# सरकार में नियुक्त वह व्यक्ति जो किसी विभाग का संचालन करता है।
# राजा या शासक का सलाहकार (प्राचीन संदर्भ में)।
=== उच्चारण ===
IPA: /mən.t̪ɾi/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
मंत्री संज्ञा पुं॰ [सं॰ मन्त्रिन्] <br><br>१. परामर्श देनेवाला । सलाह देनेवाला । <br><br>२. वह पुरुष जिसके परामर्श से राज्य के कामकाज होते हों । सचिव । पर्या॰—अमात्य । सचिव । धीसख । स भवायिक । <br><br>३. शतरंज की एक गोटी का नाम । विशेष—यह गोटी राजा से छोटी मानी जाती है और पक्ष की शेष सब गोटियों से श्रेष्ठ होती है । यह टेढी सीधी सब प्रकार की चालें चलती है । इसे वजीर या रानी भी कहते हैं ।<br><br> ४. राजा का प्रधान सलाहकार, अमात्य (जैसे- गृह मंत्री, शिक्षा मंत्री), संस्था, सभा का प्रधान अधिकारी (जैसे- कांग्रेस दल का मंत्री, साहित्य सम्मेलन का मंत्री), शतरंज के खेल में वज़ीर नामक गोटी ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* वित्त मंत्री ने बजट प्रस्तुत किया।
* पुराने समय में मंत्री राजा के सबसे करीबी होते थे।
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यंत्र
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Krishnav25
20133
उच्चारण , उदाहरण
485032
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''यंत्र''' - किसी विशेष प्रयोजन के लिए निर्मित मशीन या उपकरण।
=== उच्चारण ===
IPA: /jən.t̪ɾ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
यंत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ यन्त्र] <br><br>१. तांत्रिकों के अनुसार कुछ विशिष्ट प्रकार से बने हुए आकार या कोष्ठक आदि, जिनमें कुछ अंक या अक्षर आदि लिखे रहते हैं और जिनके अनेक प्रकार के फल माने जाते हैं । तांत्रिक लोग इनमें देवताओं का अधिष्ठान मानते हैं । लोग इन्हें हाथ या गले में पहनते भी हैं । जंतर । यौ॰—यंत्रचेष्टित=बाजीगरी । यंत्रमंत्र । यंत्रमंत्र=जादू, टोना, या टोटका आदि । <br><br>२. विशेष प्रकार से बना हुआ उपकरण; जो किसी विशेष कार्य के लिये प्रस्तुत किया जाय । औजार । जैसे,—(क) वैद्यक में तेल और आसव आदि तैयार करने के अनेक प्रकार के यंत्र होते हैं । (ख) प्राचीन काल में भी अनेक ऐसे यंत्र बनते थे, जिनसे दूर से ही शत्रुओं पर प्रहार किया जाता था । <br><br>३. किसी खास काम के लिये बनाई हुई कल या औजार । जैसे,— आजकल संसार में सैकड़ों प्रकार के यंत्र प्रचलित है, जिनकी सहायता से सैकड़ों हजारों आदमियों का काम एक या दो आदमी कर लेते हैं । <br><br>४. बंदूक । <br><br>५. बाजा । वाद्य । <br><br>६. बाजों के द्वारा होनेवाला संगीत । वाद्यसंगीत । <br><br>७. वीणा । बीन । <br><br>८. ताला । एक प्रकार का बरतन । <br><br>१०. नियंत्रण । यौ॰—यंत्रकरंडिका । यंत्रकर्मकृत्=कलाकार । कारीगर । यंत्रकोविद=मिस्त्री । मशीन के काम में दक्ष । यंत्रगोल । यंत्रतक्षा=यंत्र बनानेवाला । यंत्रतोरण=तोरण जो यंत्र वा मशीन से घूमता हो । यंत्रदृढ=अर्गला वा ताला से बंद । यंत्रपुत्रक । यंत्रप्रवाह=कृत्रिम झरना या सोता । यंत्रमार्ग । यंत्रमुक्त=एक शस्त्र । यंत्रविधि । यंत्रशर=यंत्रचालित बाण ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह यंत्र खेतों में सिंचाई के लिए प्रयोग होता है।
* साधक ने पूजा में यंत्र का उपयोग किया।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संचित
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20133
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''संचित'''
# जो एकत्रित किया गया हो; जमा हुआ।
# जो किसी प्रयोजन के लिए संकलित या सुरक्षित रखा गया हो।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.t͡ʃɪt̪/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संचित वि॰ [सं॰ सञ्चित] <br><br>१. संचय किया हुआ । <br><br>२. ढेर लगाया हुआ । <br><br>३. गिना हुआ । गणना किया हुआ (को॰) । <br><br>४. भर ा हुआ । सुसंपन्न । युक्त (को॰) । <br><br>५. बाधित । अवरुद्ध (को॰) । <br><br>६. घना । सघन (को॰) । यौ॰—संचितकर्म = पूर्वजन्म के वे एकत्रिच कर्म जो वर्तमान जीवन में प्रारब्ध के रूप में प्राप्त होते हैं और जिनका फल भोगना पड़ता है । संचितकोष, संचितनिधि = (१) जमापूँजी । (२) वेतनभोगी कर्मचारियों के वेतन से हर महीने कटकर जमा होनेवाली वह निश्चित रकम जो उन्हें नौकरी से अलग होने पर मिल जाती है । वेतन देनेवाला संस्थान भी कर्मचारियों की उस जमा रकम में अपनी ओर से उतनी ही रकम मिलाता है । प्राविडेंट फंड (अं॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसने वर्षों तक संचित धन से अपना घर खरीदा।
* अनुभव एक संचित संपत्ति होती है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संजीवनी
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20133
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संजीवनी'''
# वह औषधि जो मृतप्राय व्यक्ति को भी जीवित कर दे।
# जीवनदायिनी औषधि।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d͡ʒiːʋ.niː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संजीवनी ^१ वि॰ स्त्री॰ [सं॰ सञ्जीवनी] जीवनप्रदायिनी । जीवन- दायिनी । जीवन देनेवाली ।
संजीवनी ^२ संज्ञा स्त्री॰ <br><br>१. एक प्रकार की कल्पित ओषधि । कहते हैं कि इसके सेवन से मरा हुआ मनुष्य जी उठता है । <br><br>२. वैद्यक के अनुसार एक औषध का नाम । विशेष—इसके लिये पहले बायबिडंग, सोंठ, पिप्पली, हड़ का छिलका, आँवला, बहेड़ा, बच, गिलोय, भिलावाँ, संशोधित सिंगी मोहरा इन सबके चूर्ण को एक दिन गोमूत्र में खरल करके एक रत्ती की गोलिंयाँ बनाते हैं । कहते हैं कि इसकी एक गोली अदरक के रस के साथ खिलाने से अजीर्ण, दो गोलियाँ खिलाने से विसूचिका, तीन गोलियाँ खिलाने से सर्पविष और चार गोलियाँ खिलाने से सन्निपात नष्ट होता है । <br><br>३. अन्न । खाद्य वस्तु (को॰) । <br><br>४. कालिदास के महाकाव्य कुमार- संभव पर मल्लिनाथ सूरि की टीका का नाम ।
संजीवनी विद्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सञ्जीवनी विद्या] एक प्रकार की कल्पित विद्या । विशेष—कहते है कि इस विद्या के द्वारा मरे हुए व्यक्ति को जिलाया जा सकता है । महाभारत में लिखा है कि दैत्यों के गुरु शु्क्राचार्य यह विद्या जानते थे; और इसी के द्वारा वे उन दैत्यों को फिर से जिला देते थे जो देवताओं के साथ युद्ध करने में मारे जाते थे । देवताओं के कहने से बृहस्पति के पुत्र कच यह विद्या सीखने के लिये शुकाचार्य के पास जाकर रहने लगे ; और अनेक कठिनाइयाँ सहने के उपरांत अंत में उनसे यह विद्या सीखकर आए ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* हनुमान संजीवनी बूटी लेकर लक्ष्मण को बचाने आए थे।
* उसकी बातों ने मेरे मन में नई संजीवनी भर दी।
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संदर्भ
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484989
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संदर्भ'''
# किसी लेख, पुस्तक, या वक्तव्य का वह भाग जो किसी विषय को स्पष्ट करता है।
# किसी विषय को समझने के लिए दी जाने वाली अतिरिक्त जानकारी या उदाहरण।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪əɾ.bʰ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संदर्भ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्दर्भ] <br><br>१. रचना । बनावट । <br><br>२. साहित्यिक रचना या ग्रंथ । प्रबंध । निबंध । लेख । <br><br>३. वह ग्रंथ जिसमें किसी और ग्रंथ के गूढ़ वाक्यों आदि का अर्थ या स्पष्टीकरण आदि हो । <br><br>४. कोई छोटी पुस्तक । <br><br>५. वह पुस्तक जिसमें अनेक प्रकार की बातों का संग्रह हो । <br><br>६. विस्तार । फैलाव । <br><br>७. एक साथ क्रमबद्ध करना नत्थी करना । गूँथना (को॰) । <br><br>८. प्रसंग । संबंध । जैसे—इस बात का संदर्भ क्या है ? इस संदर्भ में हमें कुछ नहीं कहना है । <br><br>९. संगीत । निरंतरता (को॰) । <br><br>१०. बुनना (को॰) । संदर्भविरुद्ध = असंबद्ध । प्रसंगरहित । संदर्भशुद्ध = जिसका संदर्भ या संबंध ठीक हो । सदर्भशुद्धि = काव्यनिर्माण में पूर्वापर क्रम से संबंध निर्वाह की शुद्धता ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* इस कविता का ऐतिहासिक संदर्भ बहुत महत्वपूर्ण है।
* कृपया अपने उत्तर में उचित संदर्भ भी दें।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संदूक
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20133
उच्चारण , उदाहरण
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wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संदूक''' - वस्त्र, धन आदि रखने के लिए लकड़ी या धातु की बनी पेटी।
=== उच्चारण ===
{{IPA|/sən.d̪uːk/|lang=hi}}
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संदूक संज्ञा पुं॰ [अ॰ संदूक] [अल्पा॰ संदूकचा, संदुकची] लकड़ी, लोहे, चमड़े आदि का बना हुआ चौकोर पिटारा जिसमें प्रायः कपड़े, गहने आदि चीजें रखते हैं । पेटी । बकस ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* दादी ने अपने गहनों को संदूक में रखा।
* पुराने संदूक में कई यादगार चीजें मिलीं।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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20133
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संदूक''' - वस्त्र, धन आदि रखने के लिए लकड़ी या धातु की बनी पेटी।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪uːk/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संदूक संज्ञा पुं॰ [अ॰ संदूक] [अल्पा॰ संदूकचा, संदुकची] लकड़ी, लोहे, चमड़े आदि का बना हुआ चौकोर पिटारा जिसमें प्रायः कपड़े, गहने आदि चीजें रखते हैं । पेटी । बकस ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* दादी ने अपने गहनों को संदूक में रखा।
* पुराने संदूक में कई यादगार चीजें मिलीं।
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संदेशा
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20133
उदाहरण, उच्चारण
485000
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संदेशा'''
# किसी व्यक्ति के लिए भेजा गया संदेश या सूचना।
# समाचार या जानकारी जो किसी के माध्यम से पहुँचाई जाए।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪eː.ʃɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संदेशा संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्देश] दे॰ 'संदेश' ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसने अपने मित्र के लिए एक संदेशा भिजवाया।
* राजा ने सैनिक के हाथों संदेशा भेजा।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संदेह
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20133
उदाहरण,उच्चारण
484999
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संदेह'''
# किसी बात या व्यक्ति के प्रति विश्वास की कमी या शंका।
# किसी विषय के बारे में निश्चित जानकारी न होने के कारण उत्पन्न होने वाला भ्रम।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪eːʰ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संदेह संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्देह] <br><br>१. वह ज्ञान जो किसी पदार्थ की वास्तविकता के विषय में स्थिर न हो । किसी विषय में ठीक या निश्चित न होनेवाला मत या विश्वास । मन की वह अवस्था जिसमें यह निश्चय नहीं होता कि यह चीज ऐसी ही है या और किसी प्रकार की । अनिश्चयात्मक ज्ञान । संशय । शंका । शक । उ॰—तव खगपति विरंचि पहि गएऊ । निज संदेह सुनाबत भएऊ ।—मानस, ७ । ६० । क्रि॰ प्र॰—करना ।—डालना ।—मिटना ।—मिटाना ।—होना । यौ॰—संदेहगंध = संदेह का आभास या झलक । संदेहच्छेदन = शक दूर करना । संदेह न रहना । संदेहदायी = शंका उत्पन्न करनेवाला । शक धरानेवाला । संदेहदोलो = दुवधा की स्थिति । अनिश्चय की अवस्था । संदेहनाश = संशय मिटना । संदेहपद = संशय की जगह । संदेह का स्थान । संदेहभंजन = शक या शंका दूर करना । <br><br>२. एक प्रकार का अर्थालंकार । विशेष—यह उस समय माना जाता है जब किसी चीज को देखकर संदेह बना रहता है, कुछ निश्चय नहीं होता । 'भ्रांति' में और 'संदेह' में यह अंतर है किं भ्रांति में तो भ्रमवश किसी एक वस्तु का निश्चय हो भी जाता है, पर इसमें कुछ भी निश्चय नहीं होता । कविता में इस अलंकार के सूचक प्रायः धौं, किधौं; आदि संदेहवाचक शब्द आते हैं । जैसे,—(क) की तुम हरिदासन महँ कोई । मोरे हृदय प्रीति अति होई । को तुम राग दीन अनुरागी । आए माहि करन वड़भागी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है । कुछ आचार्यों ने इसके निश्चयगर्म, निश्चयांत और शुद्ध ये तीन भेद माने हैं । <br><br>३. जोखिम । खतरा । डर (को॰) । <br><br>४. शरीर के भौतिक उपकरणों का उपचयन (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* मुझे उसकी नीयत पर संदेह हो रहा है।
* संदेह स्पष्टता के अभाव में उत्पन्न होता है।
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संधी
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उदाहरण , उच्चारण
485006
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संधी'''
# दो चीजों के मिलने का स्थान या जोड़।
# शांति या समझौता।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.d̪ʱiː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संधी संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्धिन्] संधि का काम देखनेवाला मंत्री । सुलह समझौता करनेवाला मंत्री । परराष्ट्र मंत्री [को॰] ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* दो शब्दों के मिलन से संधी बनती है।
* दोनों देशों के बीच संधी हुई।
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संपादित
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20133
उच्चारण , उदाहरण
485007
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''संपादित'''- जो सुधारा गया हो।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.pɑː.d̪ɪ.t̪/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संपादित वि॰ [सं॰ सम्पादित] <br><br>१. पूर्ण किया हुआ । अंजाम दिया हुआ । <br><br>२. तैयार । प्रस्तुत । <br><br>३. क्रम, पाठ आदि लगाकर ठीक किया हुआ । (पत्र, पुस्तक आदि) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह लेख अच्छी तरह संपादित किया गया है।
* पत्रिका का संपादित संस्करण प्रकाशित हुआ।
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उदाहरण , उच्चारण
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= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''संपूर्ण''' - पूरा; जो किसी भी प्रकार से अधूरा न हो।
=== उच्चारण ===
{{IPA|/səm.puːɳ/|lang=hi}}
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संपूर्ण ^१ वि॰ [सं॰ सम्पूर्ण] <br><br>१. खूब भरा हुआ । पूरी तौर से भरा हुआ । <br><br>२. सब । बिलकुल । समस्त । पूरा । <br><br>३. समाप्त । खत्म । संपन्न । यौ॰—संपूर्णकाम = (१) जिसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हो चुकी हों । (२) आकांक्षाओं से युक्त । संपूर्णकालीन = जो उचित या पूरे समय पर हो । समय की पूर्णता या ठीक समय पर होनेवाला । पूरे समय का । संपूर्णपुच्छ = पुँछ फैलानेवाला- मयूर । मोर । संपूर्ण फलभाग् = पूर्ण फल प्राप्त करनेवाला । संपूर्णमूर्च्छा । संपूर्णलक्षण = संख्या या लक्षणों में पूर्ण । सपूर्णविद्य = जो विद्याओं से पूर्ण हो । प्राप्तविद्य । संपूर्णस्पूह् = जिसकी आकांक्षा पूरी हो गई हो । <br><br>४. पूर्ण रूप से युक्त । <br><br>५. अत्यधिक । अतिशय ।
संपूर्ण ^२ संज्ञा पुं॰ <br><br>१. वह राग जिसमें सातो स्वर लगते हों । <br><br>२. आकाश भूत ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह ग्रंथ संपूर्ण ज्ञान का भंडार है।
* उसका व्यक्तित्व संपूर्ण और संतुलित है।
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Krishnav25
20133
485018
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''संपूर्ण''' - पूरा; जो किसी भी प्रकार से अधूरा न हो।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.puːɳ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संपूर्ण ^१ वि॰ [सं॰ सम्पूर्ण] <br><br>१. खूब भरा हुआ । पूरी तौर से भरा हुआ । <br><br>२. सब । बिलकुल । समस्त । पूरा । <br><br>३. समाप्त । खत्म । संपन्न । यौ॰—संपूर्णकाम = (१) जिसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हो चुकी हों । (२) आकांक्षाओं से युक्त । संपूर्णकालीन = जो उचित या पूरे समय पर हो । समय की पूर्णता या ठीक समय पर होनेवाला । पूरे समय का । संपूर्णपुच्छ = पुँछ फैलानेवाला- मयूर । मोर । संपूर्ण फलभाग् = पूर्ण फल प्राप्त करनेवाला । संपूर्णमूर्च्छा । संपूर्णलक्षण = संख्या या लक्षणों में पूर्ण । सपूर्णविद्य = जो विद्याओं से पूर्ण हो । प्राप्तविद्य । संपूर्णस्पूह् = जिसकी आकांक्षा पूरी हो गई हो । <br><br>४. पूर्ण रूप से युक्त । <br><br>५. अत्यधिक । अतिशय ।
संपूर्ण ^२ संज्ञा पुं॰ <br><br>१. वह राग जिसमें सातो स्वर लगते हों । <br><br>२. आकाश भूत ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह ग्रंथ संपूर्ण ज्ञान का भंडार है।
* उसका व्यक्तित्व संपूर्ण और संतुलित है।
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संपोला
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20133
उच्चारण , उदाहरण
485012
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संपोला''' - साँप का बच्चा; नवजात सर्प।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.poː.lɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संपोला संज्ञा पुं॰ [हिं॰ साँप + ओला (अल्पा॰ प्रत्य॰)] साँप का बच्चा । मुहा॰—सँपोला पालना = ऐसे व्यक्ति को प्रश्रय देना जो आगे चलकर उसी पर वार करे । नितराम् अविश्वसनीय व्यक्ति को प्रश्रय देना ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* खेत में एक संपोला दिखाई दिया।
* संपोला भी बड़ा होकर विषैला साँप बनता है।
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संप्रदान
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20133
उदाहरण, उच्चारण
485004
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संप्रदान'''
# देना, प्रदान करना या सौंपना।
# संस्कृत व्याकरण में कारक का एक रूप, जो किसी को देने के अर्थ को प्रकट करता है।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.pɾə.d̪ɑːn/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संप्रदान संज्ञा पुं॰ [सं॰ सम्प्रदान] <br><br>१. दान देने की क्रिया या भाव । <br><br>२. दीक्षा । मंत्रोपदेश । शिष्य को मंत्र देना । <br><br>३. उपहार । भेंट । नजर । <br><br>४. विवाह में देना (को॰) । <br><br>५. हस्तांतरित करना या पूरी तौर से दे देना (को॰) । <br><br>६. वह जो दान को ग्रहण करे । आदाता (को॰) । <br><br>७. व्याकरण में एक कारक जिसमें शब्द देना क्रिया का लक्ष्य होता है । विशेष—हिंदी में इस कारक के चिह्न 'को' और 'के लिये' है । जैसे,—राम को दो । उसके लिये लाया ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* गुरु को दक्षिणा का संप्रदान किया जाता है।
* पुरस्कार का संप्रदान समारोह में हुआ।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संप्रदाय
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20133
उदाहरण , उच्चारण
485005
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संप्रदाय'''
# किसी धर्म, विश्वास या विचारधारा का अनुयायी समूह।
# किसी विशेष मत, विचार या परंपरा को मानने वाला समुदाय।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.pɾə.d̪ɑːj/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संप्रदाय संज्ञा पुं॰ [सं॰ सम्प्रदाय] [वि॰ साम्प्रदायिक] <br><br>१. देनेवाला । दाता । <br><br>२. गुरुपरंपरागत उपदेश । गुरुमंत्र । <br><br>३. कोई विशेषधर्म संबंधी मत । <br><br>४. किसी मत के अनुयायियों की मंडली । फिरका । <br><br>५. मार्ग । पथ । <br><br>६. परिपाटी । रीति । चाल । <br><br>७. भेंट । दान (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भारत में अनेक धार्मिक संप्रदाय हैं।
* प्रत्येक संप्रदाय के अपने रीति-रिवाज होते हैं।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संबंधी
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Krishnav25
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उदाहरण , उच्चारण
485008
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संबंधी'''
# कोई ऐसा व्यक्ति जिसका आपसे पारिवारिक या सामाजिक संबंध हो; रिश्तेदार।
# किसी विषय या वस्तु से संबंधित व्यक्ति या वस्तु।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.bən.d̪ʱiː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संबंधी ^१ वि॰ [सं॰ सम्बन्धिन्] [वि॰ स्त्री॰ संबंधिनी] <br><br>१. संबंध रखनेवाला । लगाव रखनेवाला । <br><br>२. विषयक । सिलसिले या प्रसंग का । <br><br>३. सदगुण संपन्न (को॰) । <br><br>४. जिसके साथ विवाहादि संबंध हो (को॰) ।
संबंधी ^२ संज्ञा पुं॰ <br><br>१. रिश्तेदार । <br><br>२. जिसके पुत्र या पुत्री से अपनी पुत्री या पुत्र का विवाह हुआ हो । समधी । <br><br>३. वह जिसका संबंध या लगाव हो (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* मेरे सभी संबंधी त्योहार पर हमारे घर आते हैं।
* इस मामले के सभी संबंधियों से पूछताछ की गई।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संभव
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485033
336354
2025-07-11T10:53:12Z
Krishnav25
20133
उच्चारण,उदाहरण
485033
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''संभव''' - जो हो सकता है; जो घटित या पूर्ण हो सकने की क्षमता रखता हो; जो संभवतः किया जा सके।
=== उच्चारण ===
IPA: /səm.bʱəʋ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संभव संज्ञा पुं॰ [सं॰ सम्भव] <br><br>१. उत्पत्ति । जन्म । पैदाइश । जैसे,— कुमारसंभव । <br><br>२. एक साथ होना । मेल । संयोग । समागम । <br><br>३. सहवास । प्रसंग । <br><br>४. अँटना । आ सकना । समाई । <br><br>५. हेतु । कारण । <br><br>६. होना । घटित होना । <br><br>७. हो सकने के योग्य होना । मुमकिन होना । जैसे,—उसका सुधरना संभव नहीं । <br><br>८. परिमाण का एक होना । एक ही बात होना । जैसे,—एक रुपया कहें या सोलह आने । (दर्शन) । <br><br>९. उपयुक्तता । समीचीनता । मुनासिबत । <br><br>१०. वर्तमान अवसर्पिणी के तीसरे अर्हत् (जैन) । <br><br>११. एक लोक का नाम । (बौद्ध) । <br><br>१२. नाश । ध्वंस । <br><br>१३. युक्ति । उपाय । <br><br>१४. उत्पादन । पालन पोषण (को॰) । <br><br>१५. जान पहचान । परिचय (को॰) । <br><br>१६. धन । दौलत । संपत्ति (को॰) । <br><br>१७. विद्या (को॰) । <br><br>१८. अस्तित्व । उपस्थिति (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* कड़ी मेहनत से असंभव भी संभव हो जाता है।
* यह कार्य कुछ प्रयासों से संभव है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संयोजना
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2025-07-11T10:55:22Z
Krishnav25
20133
उदाहरण ,उच्चारण
485036
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संयोजना'''
# दो या अधिक वस्तुओं, विचारों या प्रक्रियाओं का संयोजन या जोड़।
# किसी योजना या प्रणाली का निर्माण करने की क्रिया।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.joː.d͡ʒə.nɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संयोजना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. आयोजन । व्यवस्था । इंतजाम । तैयारी । <br><br>२. मेल । मिलान । <br><br>३. सहवास । स्त्री पुरुष का प्रसंग । <br><br>४. भवबंधन का कारण । जन्म मरण के चक्र में बद्ध रखनेवाली बातें (बौद् ध) । विशेष—कामराग, रूपराग, अरूपराग, परिघ, मानस, दृष्टि, शीलव्रतपरभार्ष, विचिकित्सा, औद् धत्य और अविद्या इन सबकी गणना संयोजना में होती है ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* इस परियोजना में विभिन्न तकनीकों की संयोजना की गई है।
* रासायनिक संयोजना से नई संरचना बनती है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संविभाग
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2025-07-11T07:06:14Z
Krishnav25
20133
उदाहरण, उच्चारण
485019
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संविभाग'''
# किसी संगठन, संस्था या शासन प्रणाली के भीतर का उप-भाग; विभाग का विभाजन।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.ʋɪ.bʱɑːɡ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संविभाग संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ संविभागी] <br><br>१. पूर्णतया भाग करना । हिस्सा करना । बाँट । बँटाई । <br><br>२. प्रदान । <br><br>३. भाग । अंश । हिस्सा (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* सरकार ने शिक्षा मंत्रालय में नया संविभाग जोड़ा।
* बड़े संगठनों में कार्य को सरल बनाने के लिए संविभाग बनाए जाते हैं।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संवेदन
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2025-07-11T10:36:04Z
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20133
उच्चारण , उदाहरण
485023
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संवेदन'''
# किसी वस्तु, घटना।
# महसूस करने की क्रिया या प्रक्रिया।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.ʋeː.d̪ən/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संवेदन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ संवेदना] [वि॰ संवेदनीय, संवेदित, संवेद्य] <br><br>१. अनुभव करना । सुख दुःख आदि की प्रतीति करना । क्लेश, आनंद, शीत, ताप आदि को मन में मालूम करना । <br><br>२. जताना । प्रकट करना । बोध कराना । <br><br>३. बोध । ज्ञान (को॰) । <br><br>४. नकछिकनी नाम की घास । <br><br>५. देना । आत्म- समर्पण करना ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* शरीर में स्पर्श का संवेदन तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होता है।
* उसकी बातों से मेरे मन में संवेदन जागृत हुआ।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संवेदना
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2025-07-11T10:37:09Z
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20133
उदाहरण , उच्चारण
485024
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संवेदना'''
# किसी के दुःख-दर्द या परिस्थिति के प्रति सहानुभूति और भावनात्मक प्रतिक्रिया।
# किसी विषय के प्रति गहराई से महसूस करने की क्षमता।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.ʋeː.d̪ə.nɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संवेदना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] अनुभूति । वेदना । दे॰ 'संवेदन' ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* दुर्घटना के पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।
* कविता में प्रकृति के प्रति संवेदना व्यक्त की गई है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संशय
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20133
उच्चारण , उदाहरण
485025
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text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संशय'''
# किसी विषय, तथ्य या व्यक्ति के बारे में संदेह या अनिश्चितता।
# किसी बात के सही या गलत होने में असमर्थता या भ्रम।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.ʃəj/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संशय संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. लेट रहना । पड़ रहना । <br><br>२. दो या कई बातों में से किसी एक का भी मन में न बैठना । अनिश्च- यात्मक ज्ञान । अनिश्चय । संदेह । शक । शुबहा । दुबधा । विशेष—यह न्याय के सोलह पदार्थों में से एक है । <br><br>३. आशंका । खतरा । डर । जैसे,—प्राण का संशय में पड़ना । <br><br>४. संदेह नामक काव्यालंकार । <br><br>५. संभावना (को॰) । <br><br>६. विवाद का विषय (को॰) । यौ॰—संशयकर=कठिनाई में डालनेवाला । खतरे से भरा हुआ । विपत्तिकर । संशयगत=जो विपत्ति या खतरे में पड़ गया हो । संशयच्छेद=संशय का विनाश । संदेह नाश । संशयच्छेदी= संशय दूर करनेवाला । संदेह का निराकारण करनेवाला । संशयसम । संशयस्थ ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* उसकी बातों में कोई संशय नहीं है।
* संशय मन को अस्थिर करता है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संसाधन
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2025-07-11T10:49:28Z
Krishnav25
20133
उच्चारण ,उदाहरण
485030
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संसाधन''' वह साधन, वस्तु या स्रोत जिसका उपयोग किसी कार्य को पूरा करने के लिए किया
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.sɑː.d̪ʱən/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संसाधन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ संसाधनीय, संसाधित, संसाध्य] <br><br>१. अच्छी तरह करना । पूरा करना । अंजाम देना । <br><br>२. तैयारी । आयोजन । <br><br>३. जीतना । दमन करना । वश में करना ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* जल और खनिज हमारे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं।
* किसी परियोजना की सफलता के लिए सही संसाधनों का होना आवश्यक है।
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संस्कार
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2025-07-11T10:43:58Z
Krishnav25
20133
उच्चारण ,उदाहरण
485028
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संस्कार'''
# किसी व्यक्ति के चरित्र, व्यवहार या सोच को आकार देने वाली सामाजिक या पारिवारिक शिक्षा।
# हिन्दू धर्म में जीवन के विभिन्न चरणों में किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.skaːɾ/
=== शब्दसागर ===
संस्कार संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. ठीक करना । दुरुस्ती । सुधार । <br><br>२. दोष या त्रुटि का निकाला जाना । शुद्धि । <br><br>३. सजाना । अच्छ े या सुंदर रूप में लाना । <br><br>४. धो माँजकर साफ करना । परिष्कार । <br><br>५. बदन की सफाई । शौच । <br><br>६. मनोवृत्ति या स्वभाव का शोधन । मानसिक शिक्षा । मन में अच्छी बातों का जमाना । <br><br>७. शिक्षा, उपदेश, संगत, आदि का मन पर पड़ा हुआ प्रभाव । दिल पर जमा हुआ असर । जैसे,—जैसा लड़कपन का संस्कार होता है, वैसा ही मनुष्य का चरित्र होता है । ८ पूर्व जन्म की वासना । पिछले जन्म की बातों का असर जो आत्मा के साथ लगा रहता है (यह वैशेषिक के २४ गुणों में से एक है) । जैसे,—बिना पूर्व जन्म के संस्कार के विद्या नहीं आती । <br><br>९. पवित्र करना । धर्म की दृष्टि से शुद्ध करना । <br><br>१०. वे कृत्य जो जन्म से लेकर मरणकाल तक द्विजातियों के संबंध में आवश्यक होते हैं । वर्णधर्मानुसार किसी व्यक्ति के संबंध में होनेवाला विधान, रीति या रस्म । विशेष—द्विजातियों के लिये षोडश या द्वादश संस्कार कहे गए हैं । मनु के अनुसार उनके नाम ये हैं—गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकर्म, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, उपनयन, केशांत, समावर्तन और विवाह इनमें कर्णवेध, विद्यारंभ, वेदारंभ और अंत्येष्टि कर्म को गणना करने से इनकी संख्या १६ हो जाती है । <br><br>११. मृतक की क्रिया । <br><br>१२. इंद्रियों के विषयों के ग्रहण से उत्पन्न मन पर जमा हुआ प्रभाव । <br><br>१२. मन द्वारा कल्पित या आरोपित विषय । भ्रांतिजन्य प्रतीति । प्रत्यय । (जैसी जगत् की, जो वास्तविक नहीं है ।) । विशेष—पंच स्कंधों में चौथा स्कंध 'संस्कार' है जो भबबंधन का कारण कहा गया है । <br><br>१३. साफ करने या माँजने का झाँवाँ, पत्थर आदि । झवाँ । <br><br>१४. चमकाना (को॰) । <br><br>१५. व्याकरण की दृष्टि से शब्दों की विशुद्धि (को॰) । <br><br>१६. खाना बनाना । भोग्य पदार्थ तैयार करना (को॰) । <br><br>१७. छाप । प्रभाव (को॰) । <br><br>१८. उपनयन संस्कार । यज्ञोपवीत कर्म (को॰) । <br><br>१९. धार्मिक कृत्य या अनुष्ठान । <br><br>२०. स्मरण शक्ति (को॰) । <br><br>२१. साथ साथ रखना (को॰) । <br><br>२२. पशुओं, पौधों आदि का पालन और रक्षण (को॰) । यौ॰—संस्कारकर्ता=संस्कार करानेवाला । संस्कारज=संस्कार से उत्पन्न होनेवाला । संस्कारनाम=जो नाम संस्कार के समय दिया गया हो । संस्कारपूत=(१) शिक्षा के कारण परिष्कृत । (२) संस्कार द्वारा जो पवित्र किया गया हो । संस्कारभूषण । संस्काररहित=संस्कारहीन । संस्कारवर्जित । संस्कार- विशिष्ट=पाक द्वारा परिष्कृत । जो पाक क्रिया के कारण उत्तम बना हो । संस्कारसंपन्न । संस्कारहीन ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* माता-पिता बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं।
* विवाह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है।
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संस्कृति
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2025-07-11T10:47:58Z
Krishnav25
20133
उदाहरण ,उच्चारण
485029
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संस्कृति'''
# किसी समाज या राष्ट्र की जीवनशैली, कला, साहित्य, रीति-रिवाज और मूल्यों का समूह।
# सभ्यता और परंपराओं का समुच्चय।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.s.kɾɪ.t̪i/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संस्कृति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. शुद्धि । सफाई । <br><br>२. संस्कार । सुधार । परिष्कार । <br><br>३. सजावट । आराइश । <br><br>४. रहन सहन आदि की रूढ़ि । भीतर बाहर से सस्कार की गई—सभ्यता । शाइस्तगी । <br><br>५. पूर्ण करना । पूरा करना (को॰) । <br><br>६. निर्णय । निश्चयन (को॰) । <br><br>७. उद्योग । चेष्टा (को॰) । <br><br>८. २४ वर्ण के वृत्तों की संज्ञा । <br><br>९. अंग्रेजी 'कल्चर' शब्द के अनुवाद रूप में प्रयुक्त शब्द ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भारत की संस्कृति विविधता से भरी हुई है।
* अच्छी संस्कृति समाज के विकास का आधार है।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संस्था
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2025-07-11T10:42:53Z
Krishnav25
20133
उदाहरण ,उच्चारण
485027
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== संज्ञा ===
'''संस्था''' - सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक या व्यावसायिक उद्देश्य से स्थापित संगठन।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.s̪t̪ʰɑː/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संस्था संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. ठहरने की क्रिया या भाव । ठहराव । स्थिति । <br><br>२. व्यवस्था । बँधा नियम । विधि । मर्यादा । रूढ़ि । <br><br>३. प्रकट होने की क्रिया या भाव । अभिव्यक्ति । प्रकाश । <br><br>४. रूप । आकार । आकृति । <br><br>५. गुण । सिफत । <br><br>६. ठिकाने लगाना । <br><br>७. समाप्ति । अंत । खातमा । <br><br>८. जीवन का अंत मृत्यु । <br><br>९. नाश । <br><br>१०. प्रलय । <br><br>११. यज्ञ का मुख्य अंग । <br><br>१२. बध । हिंसा । <br><br>१३. गुप्तचरों या भेदियों का वर्ग । विशेष—इसके अंतर्गत पाँच प्रकार के दूत कहे गए हैं—वणिक् भिक्षु, छात्र, लिंगी (संप्रदायी) और कृषक । <br><br>१४. व्यवसाय । पेशा । <br><br>१५. जत्था । गरोह । <br><br>१६. समाज । मंडल । सभा । समिति । <br><br>१७. राजाज्ञा । फरमान । <br><br>१८. सादृश्य । समानता । <br><br>१९. विराम । यति (को॰) । <br><br>२०. शव के आग से जलने की आवाज या शव क्रिया (को॰) । <br><br>२१. सोमयज्ञ का एक प्रकार (को॰) । यौ॰—संस्थाकृत=स्थिरीकृत । निर्धारित । ठहराया हुआ । संस्थाजय=यज्ञांत में किया जानेवाला जप ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह संस्था गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य करती है।
* उन्होंने एक नई सामाजिक संस्था की स्थापना की।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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संस्थापित
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2025-07-11T10:40:48Z
Krishnav25
20133
उदाहरण ,उच्चारण
485026
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== क्रिया विशेषण / विशेषण ===
'''संस्थापित'''
# जो स्थापित किया गया हो; जो किसी स्थान या स्थिति में स्थिर किया गया हो।
# किसी संस्था, प्रणाली या सिद्धांत का निर्माण कर उसे स्थायी रूप देना।
=== उच्चारण ===
IPA: /sən.s̪t̪ʰɑː.pɪt̪/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
संस्थापित वि॰ [सं॰] <br><br>१. उठाया हुआ । खड़ा किया हुआ । निर्मित । <br><br>२. जमाया हुआ । बैठाया हुआ । स्थित किया हुआ । प्रतिष्ठित । <br><br>३. जारी किया हुआ । चलाया हुआ । <br><br>४. संचित । बटोरा हुआ । <br><br>५. ढेर लगाया हुआ । <br><br>६. नियंत्रित । प्रतिबंधित । रोका हुआ (को॰) ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* यह स्कूल 1950 में संस्थापित किया गया था।
* उन्होंने समाज में अपनी प्रतिष्ठा संस्थापित की।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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सगुण
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2025-07-11T10:50:38Z
Krishnav25
20133
उच्चारण ,उदाहरण
485031
wikitext
text/x-wiki
= {{हिन्दी}} =
=== विशेषण ===
'''सगुण'''
# जो गुणों से युक्त हो।
# हिन्दू धर्म में वह रूप जिसमें ईश्वर गुणों और स्वरूप के साथ कल्पित होता है।
=== उच्चारण ===
IPA: /sə.ɡuɳ/
== प्रकाशितकोशों से अर्थ ==
=== शब्दसागर ===
सगुण वि॰ [सं॰] जिस राशि का गुणक शून्य हो (गणित) ।
सगुण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. परमात्मा का वह रूप जो सत्व, रज और तम तीनों गुणों से युक्त है । साकार ब्रह्म । <br><br>२. वह संप्रदाय जिसमें ईश्वर का सगुण रूप मानकर अवतारों की पूजा होती है । विशेष—मध्यकाल से उत्तरीय भारत में भक्तिमार्ग के दो भिन्न संप्रदाय हो गए थे । एक ईश्वर के निर्गुण, निराकर रूप का ध्यान करता हुआ मोक्ष की प्राप्ति की आशा रखता था और दूसरा ईश्वर का सगुण रूप राम, कृष्ण आदि अवतारों में मानकर उनकी पूजा कर मोक्ष की इच्छा रखता था । पहले मत के कबीर, नानक आदि मुख्य प्रचारक थे और दूसरे के तुलसी, सूर आदि ।
सगुण ^२ वि॰ <br><br>१. गुणों से युक्त । सदगुणों से युक्त । <br><br>२. भौतिक । सांसारिक । <br><br>३. प्रत्यंचा से युक्त (धनष) । <br><br>४. साहित्य या रचना में मान्य गुणों से युक्त [को॰] ।
=== उदाहरण वाक्य ===
* भक्त सगुण रूप में ईश्वर की पूजा करते हैं।
* सगुण व्यक्ति में अनेक अच्छे गुण होते हैं।
[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]]
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काना खोसी तो बेड़ खुसी।
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2025-07-10T15:49:27Z
SHUBHAM KR SONI
20165
Added traditional Kurukh sayings with translations Initial entry: Kurukh proverb and Hindi/English meaning
484986
wikitext
text/x-wiki
==Kurukh==
=== लोकोक्तियाँ ===
* "काना खोसी तो बेड़ खुसी।"
: आँखें न हों तो कान से रास्ता पाओ।
: ''If eyes don’t see, let the ears guide you.''
* "तेंदु में झूला, महुआ में मीठा।"
: हर का अपना गुण होता है।
: ''Each tree has its gift.''
...
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