विकिस्रोतः sawikisource https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%AE%E0%A5%8D MediaWiki 1.45.0-wmf.9 first-letter माध्यमम् विशेषः सम्भाषणम् सदस्यः सदस्यसम्भाषणम् विकिस्रोतः विकिस्रोतःसम्भाषणम् सञ्चिका सञ्चिकासम्भाषणम् मीडियाविकि मीडियाविकिसम्भाषणम् फलकम् फलकसम्भाषणम् साहाय्यम् साहाय्यसम्भाषणम् वर्गः वर्गसम्भाषणम् प्रवेशद्वारम् प्रवेशद्वारसम्भाषणम् लेखकः लेखकसम्भाषणम् पृष्ठम् पृष्ठसम्भाषणम् अनुक्रमणिका अनुक्रमणिकासम्भाषणम् श्रव्यम् श्रव्यसम्भाषणम् TimedText TimedText talk पटलम् पटलसम्भाषणम् सदस्यः:V(g) 2 25211 409662 409525 2025-07-10T23:00:15Z EmausBot 3495 [[सदस्यः:G(x)]] को दोहरे पुननिर्देशित ठीक किया। 409662 wikitext text/x-wiki #पुनर्निर्दिष्टम् [[सदस्यः:G(x)]] 95d6euwz5uasoehai0z4cdinzeslj5p पृष्ठम्:Sanskrit Introductory.djvu/६८ 104 71208 409663 405250 2025-07-11T09:58:57Z 2409:4040:410:BD96:0:0:2A50:B0AC 409663 proofread-page text/x-wiki <noinclude><pagequality level="1" user="Jayashri R" /></noinclude>'''7.A.6 List of Conjunct Consonants''' {{smaller|The following is a standard list of conjunct consonants, arranged in alphabetical order: simply read through the list and you will find that most of the symbols are easily recognizable.}} क्क क्ख क्च क्ज क्ट क्ड क्ण क्त क्त्य क्त्र क्त्व क्थ क्द क्न क्प क्प्र क्फ क्म क्य क्ल क्व क्व्य क्श क्ष्म क्ष्म्य क्ष्य क्ष्व क्स क्स्ट क्स्ड क्स्त क्स्प क्स्प्रक्स्प्ल क्क़ क्ख़ क्ज़ क्फ़ ख्ख ख्त ख्न ख्म ख्य ख्व ख्श ख्स ख्ख़ ग्ग ग्घ ग्ज ग्ण ग्द ग्ध ग्ध्य ग्ध्व ग्न ग्न्य ग्ब ग्भ ग्भ्य ग्म ग्य ग्र्य ग्ल ग्व ग्स ग्ग़ ग्ज़ घ्घ घ्न घ्म घ्य घ्व ङ्क ङ्क्ष ङ्ग ङ्घ ङ्म ङ्य च्च च्छ च्छ्व च्ड च्न च्म च्य च्व छ्य छ्र्य छ्व ज्ज ज्ज्ञ ज्ज्य ज्झ ज्ञ ज्ञ्य ज्ट ज्ड ज्त ज्द ज्न ज्ब ज्म ज्य ज्र ज्व ज्ज़ झ्झ झ्न झ्म झ्य ञ्च ञ्च्य ञ्छ ञ्ज ञ्ज्य ञ्श ट्ट ट्ट्य ट्ठ ट्य ट्र्य ट्व ठ्ठ ठ्ठ्य ठ्य ड्ड ड्ड्य ड्ढ ड्ढ्य ड्य ड्र्य ड्व ढ्ढ ढ्ढ्य ढ्य ढ्र्य ण्ट ण्ठ ण्ड ण्ढ ण्म ण्य ण्व ण्ह त्क त्क्य त्क्र त्क्व त्क्ष त्खत्ख्नत्ख्र त्त त्त्य त्त्व त्थ त्न त्न्य त्प त्प्र त्प्ल त्फ त्म त्म्य त्य त्र्य त्ल त्व त्स त्स्थत्स्न त्स्य त्स्व थ्थ थ्न थ्य थ्व द्ग द्ग्र द्घ द्द द्द्य द्ध द्ध्य द्न द्ब द्ब्र द्भ द्भ्य द्म द्य द्र्य द्व द्व्य द्व्र ध्ध ध्न ध्न्य ध्न्य ध्य ध्व न्क न्क्स न्ग न्च न्छ न्न्य न्ट न्ड न्त न्त्य न्त्र न्त्र्य न्त्स न्थ न्थ्य न्थ्व न्न न्प न्प्र न्फ न्ब न्भ न्म न्य न्र न्व न्श न्स न्स्ट न्स्म न्स्म्य न्स्य न्ह न्ह्य न्क़ न्ख़ न्ग़ न्ज़ न्फ़ प्ज प्झ प्ट प्त प्त्य प्थ प्न प्प प्फ प्म प्य प्ल प्व प्स प्स्य प्ज़ प्फ़ फ्ज फ्ट फ्त फ्थ फ्प फ्फ फ्य फ्ल फ्श फ्स फ्ज़ फ्फ़ ब्ज ब्ज्य ब्त ब्थ ब्द ब्ध ब्ध्व ब्न ब्ब ब्भ ब्भ्र ब्य ब्ल ब्ल्य ब्व ब्श ब्स ब्ज़ भ्न भ्भ भ्य भ्व म्च म्छ म्त म्थ म्द म्ध म्न म्प म्प्र म्ब म्ब्य म्ब्र म्भ म्भ्र म्म म्य म्ल म्व म्श म्स म्ह य्थ य्न य्य ऱ्य ऱ्ह ल्क ल्क्य ल्ख ल्ग ल्घ ल्च ल्ज ल्ट ल्ड ल्त ल्थ ल्थ्य ल्द ल्द्र ल्न ल्प ल्फ ल्ब ल्भ ल्भ्य ल्म ल्य ल्ल ल्ल्य ल्व ल्व्य ल्स ल्ह ल्ह्य ल्क़ल्ख़ल्ज़ ल्फ़ळ्य ळ्हळ्ळ व्न व्य व्ल व्व व्ह श्क श्च श्छ श्ट श्त श्न श्म श्य श्र्य श्ल श्व श्श श्क़ ष्क ष्क्र ष्ट ष्ट्य ष्ट्र ष्ट्व ष्ठ ष्ठ्य ष्ठ्र ष्ण ष्ण्य ष्प ष्प्र ष्फ ष्म ष्म्य ष्य ष्व ष्ष ष्क़ ष्ख़ ष्फ़ स्क स्क्र स्क्ल स्क्व स्क्ष स्ख स्ज स्झ स्ट स्त स्त्य स्त्र स्त्व स्थ स्थ्य स्द स्न स्प स्प्र स्प्ल स्फ स्ब स्म स्म्य स्य स्ल स्व स्स स्क़ स्ख़ स्फ़ह्ण ह्न ह्म ह्म्य ह्य ह्ल ह्व ह्व्य क़्क़ क़्त क़्फ क़्ब क़्म क़्शक़्स क़्फ़ ख़्त ख़्म ख़्य ख़्व ख़्श ख़्स ग़्र ज़्ब ज़्म ज़्य ज़्र ज़्ज़ फ़्ज फ़्ट फ़्त फ़्य फ़्र फ़्ल फ़्श फ़्स फ़्ज़ फ़्फ़<noinclude></noinclude> kt5bl31rnkd0qbmm770ioo4zocn2cvm 409664 409663 2025-07-11T10:01:24Z 2409:4040:410:BD96:0:0:2A50:B0AC 409664 proofread-page text/x-wiki <noinclude><pagequality level="1" user="Jayashri R" /></noinclude>'''7.A.6 List of Conjunct Consonants''' {{smaller|The following is a standard list of conjunct consonants, arranged in alphabetical order: simply read through the list and you will find that most of the symbols are easily recognizable.}} क्ष ज्ञ क्र ख्र ग्र घ्र ङ्र च्र छ्र ज्र झ्र ञ्र ट्र ठ्र ड्र ढ्र ण्र त्र थ्र द्र ध्र न्र प्र फ्र ब्र भ्र म्र य्र व्र श्र स्र ह्र क़्र ख़्र ग़्र ज़्र फ़्र क्न ख्न ग्न घ्न च्न छ्न ज्न झ्न त्न थ्न द्न ध्न न्न प्न फ्न ब्न भ्न म्न य्न व्न श्न स्न ह्न क्क क्ख क्ग क्घ क्च क्ज क्ट क्ण क्त क्थ क्द क्प क्फ क्म क्य क्र क्ल क्व क्श क्स ख्ख ख्त ख्म ख्य ख्व ख्श ग्ग ग्घ ग्ज ग्ण ग्द ग्ध ग्ब ग्भ ग्म ग्य ग्ल ग्व ग्स घ्म घ्य च्च च्छ च्म च्य छ्य ज्क ज्ज ज्झ ज्ट ज्ड ज्त ज्द ज्ब ज्म ज्य ज्व झ्म झ्य ञ्छ ञ्ज ञ्श ट्ट ट्ठ ट्य ट्व ठ्ठ ठ्य ड्ड ड्ढ ड्य ड्व ढ्ढ ढ्य ण्ट ण्ठ ण्ड ण्ढ ण्ण ण्म ण्य ण्व त्क त्ख त्त त्थ त्प त्फ त्म त्य त्ल त्व त्स थ्य थ्व द्ग द्घ द्द द्ध द्ब द्भ द्म द्य द्व ध्म ध्य ध्व न्क न्च न्छ न्ट न्ड न्त न्थ न्द न्ध न्प न्फ न्भ न्म न्य न्व न्स न्ह प्ट प्ठ प्त प्प प्फ प्म प्य प्ल प्व प्स फ्ज फ्ट फ्त फ्प फ्फ फ्य फ्ल फ्श ब्ज ब्झ ब्त ब्द ब्ध ब्ब ब्भ ब्य ब्ल ब्व ब्श ब्स भ्य भ्ल भ्व म्त म्द म्प म्ब म्भ म्म म्य म्ल म्व म्श म्स म्ह य्य ल्क ल्ख ल्ग ल्च ल्ज ल्ट ल्ठ ल्ड ल्ढ ल्त ल्थ ल्द ल्ध ल्प ल्फ ल्ब ल्भ ल्य ल्ल ल्व ल्स ल्ह ळ्य व्ड व्य व्ल व्व व्ह श्क श्च श्छ श्ट श्त श्म श्य श्ल श्व श्श ष्क ष्ट ष्ठ ष्ण ष्फ ष्म ष्य ष्व ष्ष स्क स्ख स्ज स्ट स्त स्थ स्द स्प स्फ स्ब स्म स्य स्ल स्व स्स ह्ण ह्म ह्य ह्ल ह्व क्त्य क्त्र क्त्व क्प्र क्व्य क्स्ट क्स्ड क्स्त क्स्प्र क्स्प्ल ग्ध्य ग्ध्व ग्न्य ग्भ्य ग्र्य च्छ्व छ्र्य ज्ज्ञ ज्ज्य ज्ज्व त्क्य त्क्र त्क्व त्क्ष त्ख्र त्त्य त्त्व त्न्य त्प्र त्प्ल त्म्य त्र्य त्स्न त्स्य त्स्व द्ग्र द्ब्र ध्न्य न्क्स न्त्य न्त्स न्थ्य न्थ्व न्द्र न्द्व न्ध्य न्ध्र न्ध्व न्न्य न्प्र न्फ्र न्भ्य न्भ्व न्म्य न्स्ट न्स्म्य न्स्य प्त्य ब्ज्य ब्ध्व ब्भ्र ब्ल्य भ्र्य म्प्र म्प्ल म्ब्य म्ब्र म्भ्य म्भ्र म्भ्व ल्क्य ल्थ्त ल्द्र ल्द्व ल्ल्य ष्क्र ष्ट्य ष्ट्र ष्ट्व ष्ठ्य ष्ठ्र ष्ण्य ष्प्र ष्म्य स्क्र स्क्व स्त्य स्त्र स्त्व स्थ्य स्प्र स्म्य क़्क़ क़्य क़्फ क़्फ़ क़्ब क़्म ख़्त ख़्म ख़्य ख़्व ख़्श ख़्स ज़्ज़ ज़्य फ़्ज़ फ़्त फ़्फ़ फ़्स ब्ज़ ल्ज़ श्ज़ क्ष्म क्ष्म्य क्ष्य क्ष्व<noinclude></noinclude> qjmxxf3chnhasr5iot6jc3vb0xems7k सिगिपम् 0 161793 409660 401089 2025-07-10T17:47:05Z ढापरे इत्युपाह्वः मेहेरालोकः 8716 सिगिपं कूटलेखनस्य नियमाः स्पष्टीकृताः। 409660 wikitext text/x-wiki नत्वा देवं गुरूंश्चैव विदुषः समुपस्थितान्। सिगिपं-कूटलेखस्य गुह्यं व्याक्रियते मया॥१॥ स्वरमात्रा तु वर्णस्य यथावद्धि प्रयुज्यते। विसर्गोऽप्यनुस्वारोऽपि मूलवद्दीयते सदा॥२॥ स्वरस्थाने ककारस्य स्वरमात्रोपयोजनम्। खकारे गकारस्यैव घस्थाने ङस्य योजनम्॥३॥ चौ टोस्तौ पोस्तथा नित्यमन्तस्थेषूष्मणां क्रमात्। क्षे ळस्यैवं प्रयुज्यन्ते सिगिपेऽर्णाः परस्परम्॥४॥ (ढापरे इत्युपाह्वः मेहेरालोकः) ---- ----'''अस्याः पद्धतेर्नियमाः''' - १) अनुस्वारः, विसर्गः स्वरमात्राः च मूलशब्दे यथा सन्ति तथैव दीयन्ते। २) केवलमेकस्य वर्णस्य स्थाने अन्यवर्णस्य उपयोगः क्रियते। ३) एष उपयोगः परस्परस्थाने क्रियते। ----'''वर्णोपयोजनम्''' - -> स्वराणां स्थाने 'क्'वर्णस्य तत्तत्स्वरमात्रासहितरूपम् उपयुज्यते। 'क्'वर्णस्य स्थाने तस्य स्वरमात्रानुसारं स्वरस्य उपयोगः भवति। <big>यथा - (काकः इत्यर्थे आअः)</big> -> 'ख्'वर्णस्य 'ग्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (खगः इत्यर्थे गखः) (अंग इत्यर्थे कंख)</big> -> 'घ्'वर्णस्य 'ङ्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (अघं इत्यर्थे कङं)</big> -> 'चु' अर्थात् 'च्'वर्गस्य 'टु' अर्थात् 'ट्'वर्गस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (चटका इत्यर्थे टचआ) (कंचुकी इत्यर्थे अंटुई)</big> -> 'तु' अर्थात् 'त्'वर्गस्य 'पु' अर्थात् 'प्'वर्गस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (कपाटक इत्यर्थे अताचअ) (भौमः इत्यर्थे धौनः)</big> -> 'य्-र्-ल्-व्' एतेषाम् अन्तस्थव्यञ्जनानां 'श्-ष्-स्-ह्' एतेषाम् ऊष्मव्यञ्जनानां च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (रामायण इत्यर्थे षानाशञ) (काश्यप इत्यर्थे आय्शत)</big> -> 'क्ष्'वर्णस्य 'ळ्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (पक्षी इत्यर्थे तळी) (अक्षय्य इत्यर्थे कळश्श)</big> ----'''एतन्नियमानुसारम्''' - १) "माषाशञेम सिगिपन्" = नारायणेन लिखितम्। २) "किबं तुल्पअं बप्पं" = इदं पुस्तकं दत्तं। ३) "खडाममाष्तञनल्पु" = गजाननार्पणमस्तु। 8fjderp5dqqzkrntbq5h97xugzbfgcu 409661 409660 2025-07-10T18:04:23Z ढापरे इत्युपाह्वः मेहेरालोकः 8716 409661 wikitext text/x-wiki नत्वा देवं गुरूंश्चैव विदुषः समुपस्थितान्। सिगिपं-कूटलेखस्य गुह्यं व्याक्रियते मया॥१॥ स्वरमात्रा तु वर्णस्य यथावद्धि प्रयुज्यते। विसर्गोऽप्यनुस्वारोऽपि मूलवद्दीयते सदा॥२॥ स्वरस्थाने ककारस्य स्वरमात्रोपयोजनम्। खकारे गकारस्यैव घस्थाने ङस्य योजनम्॥३॥ चौ टोस्तौ पोस्तथा नित्यमन्तस्थेषूष्मणां क्रमात्। क्षे ळस्यैवं प्रयुज्यन्ते सिगिपेऽर्णाः परस्परम्॥४॥ (- ढापरे इत्युपाह्वः मेहेरालोकः) ----कूटलेखनस्य नैकप्रकाराः प्राचीनमातृकासु प्राप्यन्ते, तासु एको नाम पर्यायिवर्णपद्धतिः। अस्यामेकस्य वर्णस्य स्थानेऽपरवर्णस्योपयोगः क्रियते। पुण्यपत्तनस्थवैदिकसंशोधनमण्डले एतादृशाः नैकाः मातृकाः सन्ति यासु मुख-मल-पुष्पिकापृष्ठेषु "माषाशञेम सिगिपं", "किबं तुल्पअं बप्पं", "खडाममार्तञनल्पु" एतादृशानि निरर्थकानि वाक्यानि प्राप्यन्ते। नैतानि निरर्थकानि अपि तु कूटपद्धत्या लिखितानि सन्ति। राजस्थानराज्ये उदयपुरे "धरोहर"संस्थायाः "सङ्ग्रह"विभागे संस्कृत-पाण्डुलिपि-सूचीकारत्वेन कार्यं कुर्वता मया (ढापरे इत्युपाह्वेन श्रीमता मेहेरालोकमहोदयेन) अस्य रहस्यभेदः अवगतः। स एवास्मिन् लेखद्वारा प्रस्तूयते। ----'''अस्याः पद्धतेर्नियमाः''' - १) अनुस्वारः, विसर्गः स्वरमात्राः च मूलशब्दे यथा सन्ति तथैव दीयन्ते। २) केवलमेकस्य वर्णस्य स्थाने अन्यवर्णस्य उपयोगः क्रियते। ३) एष उपयोगः परस्परस्थाने क्रियते। ----'''वर्णोपयोजनम्''' - -> स्वराणां स्थाने 'क्'वर्णस्य तत्तत्स्वरमात्रासहितरूपम् उपयुज्यते। 'क्'वर्णस्य स्थाने तस्य स्वरमात्रानुसारं स्वरस्य उपयोगः भवति। <big>यथा - (काकः इत्यर्थे आअः)</big> -> 'ख्'वर्णस्य 'ग्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (खगः इत्यर्थे गखः) (अंग इत्यर्थे कंख)</big> -> 'घ्'वर्णस्य 'ङ्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (अघं इत्यर्थे कङं)</big> -> 'चु' अर्थात् 'च्'वर्गस्य 'टु' अर्थात् 'ट्'वर्गस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (चटका इत्यर्थे टचआ) (कंचुकी इत्यर्थे अंटुई)</big> -> 'तु' अर्थात् 'त्'वर्गस्य 'पु' अर्थात् 'प्'वर्गस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (कपाटक इत्यर्थे अताचअ) (भौमः इत्यर्थे धौनः)</big> -> 'य्-र्-ल्-व्' एतेषाम् अन्तस्थव्यञ्जनानां 'श्-ष्-स्-ह्' एतेषाम् ऊष्मव्यञ्जनानां च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (रामायण इत्यर्थे षानाशञ) (काश्यप इत्यर्थे आय्शत)</big> -> 'क्ष्'वर्णस्य 'ळ्'वर्णस्य च उपयोगः परस्परस्थाने भवति।    <big>यथा - (पक्षी इत्यर्थे तळी) (अक्षय्य इत्यर्थे कळश्श)</big> ----'''एतन्नियमानुसारम्''' - १) "माषाशञेम सिगिपन्" = नारायणेन लिखितम्। २) "किबं तुल्पअं बप्पं" = इदं पुस्तकं दत्तं। ३) "खडाममाष्तञनल्पु" = गजाननार्पणमस्तु। a0sascr7n3yqlli97wbmpgkep02goup