जैन धर्म
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जैन धर्म भारत यु श्रवण परम्परा नं वगु छगु धर्म व दर्शन खः ।
धलः |
[सम्पादन] तीर्थंकर
जैन धर्मय् २४गु तिर्थंकरतेत हनिगु ज्या जुइ |
| No. | Cell 2 |
| 1 | ऋषभदेव जी |
| 2 | अजितनाथ जी |
| 3 | सँभवनाथ जी |
| 4 | अभिनंदन नाथ जी |
| 5 | सुमितनाथ जी |
| 6 | पदम प्रभु जी |
| 7 | सुपारश नाथ जी |
| 8 | चंदाप्रभु जी |
| 9 | सुविधी नाथ जी |
| 10 | शीतल नाथ जी |
| 11 | श्रेंय़ास नाथ जी |
| 12 | वासुपुज् जी |
| 13 | विमलनाथ जी |
| 14 | अनंत नाथ जी |
| 15 | धमँनाथ जी |
| 16 | शांतिनाथ जी |
| 17 | कुंथुनाथ जी |
| 18 | अऱह नाथ जी |
| 19 | मल्लीनाथ जी |
| 20 | मुनिसुव्रत जी |
| 21 | निमनाथ जी |
| 22 | अऱिषटनेमी जी |
| 23 | पारस नाथ जी |
| 24 | महावीर स्वामी जी |
[सम्पादन] सम्प्रदाय
[सम्पादन] श्वेताम्बर
श्वेताम्बर सन्यासी तेसं तुयुगु वस पुनि ।
[सम्पादन] दिगम्बर
दिगम्बर मुनि(श्रमण) नांगां च्वनि।
[सम्पादन] धर्मग्रंथ
- श्वेताम्बर आगम
- दिगम्बर आगम
[सम्पादन] दर्शन
[सम्पादन] 'अनेकान्तवाद
[सम्पादन] स्यादवाद
[सम्पादन] जीव और पुद्गल
जैन आत्मा यात माने याइ। इमिसं उकित "जीव" धाइ। अजीव यात पुद्गल धाइ । इमिगु कथलं म्ह निगु मिले जुया बुया वै । जीव दुख-सुख, आदियु अनुभव याइ व पुनर्जन्म काइ ।
[सम्पादन] मोक्ष
[सम्पादन] त्रिरत्न
- सम्यक दर्शन
- सम्यक ज्ञान
- सम्यक चिरत्र
[सम्पादन] ईश्वर
जैन ईश्वर यात माने याइ।
[सम्पादन] पंचमहाव्रत
सत्य, अंहिसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह ।
[सम्पादन] अहिंसा य्र जोड
अहिंसा व जीव दयाय् यक्व जोड बिगु दु। सकल जैन शाकाहरी जुइ ।

